नई दिल्ली: हर्षवर्धन कपूर और सैयामी खेर के अभिनय से सजी आगामी फिल्म ‘मिर्जिया’ काफी चर्चा में बनी हुई है। फिल्म के निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने कॉलेज के दिनों में एक प्ले देखा था, जिसका नाम था 'मिर्जा-साहिबा' और आज उन्होंने 35 वर्ष बाद वह इसी कहानी से प्रेरित होकर एक फिल्म बनाई है, जिसका नाम है 'मिर्जिया'। यह उनके लिए सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि अहसास है। मेहरा ने फिल्म बनाने की इच्छा के बारे में बताया, "मैंने कॉलेज के दिनों में मिर्जा-साहिबा का एक प्ले देखा था और इसे देखने के बाद मेरे जेहन में एक ही सवाल था कि 'साहिबा ने मिर्जा के तीर क्यों तोड़े?' और तब से यह कहानी मेरे दिमाग में बैठ गई। इसकी कहानी कमाल की है लेकिन यह इससे सिर्फ प्रेरित है, हमारी कहानी इससे बिल्कुल अलग है।"
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वह कहते हैं, "मैं 2010 में गुलजार साहब के पास चाय के बहाने गया और उन्हें फिल्म की कहानी लिखने का सुझाव दिया। उन्होंने 2011-12 में फिल्म की कहानी लिख दी थी, लेकिन उस समय मैं असमंजस में था कि 'भाग मिल्खा भाग' पहले बनाऊं या फिर 'मिर्जिया'। उस समय की परिस्थितियों के अनुरूप हमने 'भाग मिल्खा भाग' पहले बनाई।" मेहरा की अधिकतर फिल्मों में पंजाबी टच रहता है लेकिन वह इसे सिर्फ इत्तेफाक ही कहते हैं।
मेहरा हिंदुस्तानी कहानियों को लोकप्रिय बनाना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि भारतीय कहानियां भी विश्वभर में लोकप्रिय हों। वह कहते हैं, "रोमियो-जूलियट क्यों इतनी लोकप्रिय है? क्योंकि इस पर दुनिया की हर जुबान में फिल्में बनी हैं। मैं ठीक इसी तरह भारतीय कहानियों को चर्चित करना चाहता हूं।"
हाल ही में कई दिग्गज हस्तियों ने फिल्म की सराहना की है। अमिताभ बच्चन जैसे कलाकार ने फिल्म की तुलना एक कविता से की है। इस बारे में मेहरा कहते हैं, "मैं चाहता था कि इस फिल्म को सबसे पहले बच्चन साहब देखें। अगर मैं यह फिल्म 40 साल पहले बनाता तो इसमें मुख्य भूमिका में अमिताभ बच्चन ही होते।"
मेहरा, गुलजार के साथ अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहते हैं, "आपको एक पते की बात बताता हूं। जब मैं निर्देशन में हाथ आजमाने के लिए बंबई गया था, तब मैं 23 साल का था। उस वक्त मैंने पहली बार गुलजार साहब से मुलाकात की थी और आज 27 साल बाद उन्होंने मेरी फिल्म मिर्जिया की स्क्रिप्ट लिखी है। इससे आप मेरे उनके साथ संबंधों के बारे में अंदाजा लगा सकती हैं।"
यह सिर्फ 'आई लव यू' वाली कहानी नहीं है। प्यार में बीता हुआ एक पल पूरी जिंदगी से बेहतर है। यह फिल्म देखने के बाद हर शख्स इसकी अपनी तरह से व्याख्या करेगा। फिल्म में नवोदित कलाकारों के बारे में वह कहते हैं कि सभी नवोदित कलाकारों ने बेहतरीन काम किया है। इन्होंने अभिनय नहीं किया है बल्कि यह अपने किरदार में ढल गए हैं। फिल्म के दोनों ही मुख्य कलाकारों की दोहरी भूमिकाएं हैं जो इनके लिए काफी चुनौतीपूर्ण हैं।
हाल के दिनों में भारत, पाकिस्तान के बीच खासा तनाव है। इस बीच पाकिस्तानी कलाकारों के भारत में काम करने पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। यह बात छेड़ने पर मेहरा झल्लाते हुए कहते हैं, "मुझे समझ नहीं आता कि यह सब क्या चल रहा है। सीमा पर हमारे जवान शहीद हो रहे हैं। हमें इस बात का भी अहसास नहीं है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वालों पर क्या बीत रही है। हर बार सीमा पर तनाव बढ़ता है और हम इस तरह के मामले उठाकर इस गंभीर स्थिति को हल्का कर देते हैं, यह सब बंद होना चाहिए।
वह आगे कहते हैं, "इतना बड़ा दक्षेस सम्मेलन स्थगित हो गया और हम कलाकारों के यहां-वहां काम करने पर लड़ रहे हैं? हमने देश चलाने के लिए एक सरकार चुनी है। सरकार को अपना काम करने देना चाहिए।"