नई दिल्ली: अभिनेता राजीव खंडेलवाल अब तक के अपने अभिनय करियर में कई फिल्मों में अहम करिदार निभाते हुए नजर आ चुके हैं। राजीव ने स्टार प्लस के शो 'कहीं तो होगा' के सूजल के किरदार से घर-घर में पहले ही अपनी एक खास पहचान बना ली थी। राजीव अब डिजिटल मीडिया में अपना भाग्य आजमा रहे हैं और उनका कहना है कि वे एक अभिनेता के रूप में अपने स्तर में वृद्धि करना चाहते हैं। राजीव को फिल्म 'आमिर' में अपने गंभीर अभिनय के लिए आलोचकों से सराहना मिली तो फिल्म 'शैतान' के लिए उन्हें दर्शकों का प्यार मिला। बावजूद इसके उनका अभी तक का फिल्मी करियर बहुत परवान नहीं चढ़ पाया है।
राजीव ने एक साक्षात्कार में बताया, "एक अभिनेता के तौर पर मैं अपने स्तर को बढ़ाना चाहता हूं। मैं अपनी पहुंच को बढ़ाना चाहता हूं इसलिए मैं सब कुछ करना चाहता हूं और मेरे सामने जो भी आएगा मैं करूंगा। मैंने अभी तक किसी प्रकार का कंफर्ट जोन नहीं चाहा और मैं खुद को सीमित नहीं करना चाहता हूं।" 42 वर्षीय अभिनेता ने कहा, "यहां तक कि अगर मैं असफल भी रहूं तो मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी क्यूंकि मैं केवल कोशिश करना चाहता हूं और करता रहूंगा लेकिन ऐसी कोई विशेष चीज नहीं है कि मैं उसका हिस्सा बनना चाहता हूं। मैं हर शैली का हिस्सा बनना चाहता हूं।" यह पूछे जाने पर कि क्या हमेशा अलग-अलग शैलियों की पटकथा का चुनाव जानबूझकर किया जाना वाला प्रयास है तो उन्होंने कहा, "मैंने जिस तरह की फिल्मों को किया या जो मैं अभी कर रहा हूं वह काम जानबूझकर या पसंद पर आधारित नहीं है।"
उन्होंने आगे कहा, "जब तक मैंने आमिर की पटकथा नहीं पढ़ी थी मुझे नहीं पता था कि कोई शख्स इस तरह का कुछ लिख सकता है और उस दौरान जब आपके दिमाग में फिल्म के बारे में केवल नाच-गाना, अच्छा दिखना और रोमांस आता है ऐसे में इस तरह का कुछ करना काफी अलग है।" राजीव कहते हैं कि जो पटकथाएं उन्हें उत्साहित करती हैं उनके लिए वह तैयार हो जाते हैं। वह कहते हैं, "दुर्भाग्य से मुझे जो रोमांटिक फिल्मों या मुख्य धारा के सिनेमा की पटकथाएं पेश हुईं वह मुझे अधिक उत्साहित नहीं कर सकीं और इसीलिए मैं अब तक ऐसी फिल्मों का हिस्सा नहीं बनां।"
राजीव फिलहाल एएलटी बालाजी के आगामी डिजिटल शो 'हक से' में व्यस्त हैं जिसमें उनके साथ सुरवीन चावला भी नजर आएंगी। राजीव ने बताया, "मैं अपने करियर में काफी साहसी रहा हूं। माध्यम चुनौतीपूर्ण नहीं है..परियोजना है जो चुनौतीपूर्ण है। इसलिए मैं यह नहीं बता सकता हूं कि कौन सा माध्यम अधिक चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि मैं परियोजनाओं को चुनौतीपूर्ण मानता हूं।" उन्होंने कहा, "हां मैं शारीरिक रूप से टेलीविजन को अधिक चुनौतीपूर्ण मानता हूं क्योंकि यहां समयसीमा, प्रसारण और दर्शकों की प्रतिक्रियों का दबाव रहता है इसलिए टेलीविजन शारीरिक तौर पर अधिक थकाऊ माध्यम है।"