नई दिल्ली: यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स और फिल्मफेअर के टैलेंट हंट की खोज जतिन खन्ना फिल्म राज से कब राजेश खन्ना बन गए यह बात शायद काका भी नहीं भांप पाए होंगे। आज ही के दिन दुनिया को अलविदा कहने वाले प्यारे "आनंद" के फिल्मी करियर की कहानी भी उतनी ही दिलचस्प है जितना कि हमारा हिंदी सिनेमा। साल 1969 में "अराधना" और "दो रास्तों" से शुरू हुआ सफर साल 1971 आते आते शानदार मोड़ ले चुका था जहां एक ओर हिंदी सिनेमा को पहला ओरिजनल सुपरस्टार मिला वहीं सिनेमाप्रेमियों को एक ऐसा चहेता सितारा जिसे लड़कियां खून से खत लिखा करती थीं। एक लंबे चौड़े फिल्मी करियर के करीब 40 साल बाद काका को आईफा ने लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा तो उन्होंने अमिताभ को बाबूमोशाय थैंक यू वैरीमच कहकर सबको भावुक कर दिया। किसी फिल्मी मंच पर उनके आखिरी शब्द थे... “इज्जतें, उल्फतें, शोहरते, चाहतें सब कुछ इस दुनिया में रहता नहीं आज मैं हूं जहां कल कोई और था...ये भी एक दौर है वो भी एक दौर था।”
गौरतलब है की हिन्दी फिल्म जगत के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना का 18 जुलाई 2012 को मुंबई में निधन हो गया था। उनके अंतिम समय में उनकी पत्नी डिपंल, दोनों बेटियां ट्विंकल खन्ना, रिंकी खन्ना और दामाद अक्षय कुमार सहित पूरा परिवार मौजूद था। उनके निधन से बॉलीवुड सहित करोड़ों सिनेमा प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई थी और उनके फैंस मुंबई की बरसात में भी अपने पहले सुपर स्टार की एक झलक देखने के लिए उमड़ पड़े थे।