बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता राजेन्द्र कुमार ने करीब चार दशक तक फिल्म इंडस्ट्री पर लोगों के दिलों पर राज किया। यहां तक कि राजेन्द्र कुमार को 60 के दशक का सबसे बेहतरीन एक्टर माना जाता था। तो चलिए आपको राजेन्द्र कुमार की बर्थ एनिवर्सरी पर जिंदगी से जुड़े कुछ अनसुने किस्से बताते हैं।
राजेंद्र कुमार अपने परिवार के साथ भारत आ गए थे। यहां उनके पिता ने कपड़ों का व्यापार शुरू किया था, जो अच्छा चल गया। इसके बाद राजेंद्र की नौकरी भी पुलिस विभाग में लग गई, वो भी सब-इंस्पेक्टर के पद पर। लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। राजेंद्र के एक दोस्त ने उन्हें फिल्मी दुनिया के सपने दिखाए और मुंबई आकर एक्टिंग करने को कहा। वैसे तो राजेंद्र कुमार का बचपन का सपना था एक्टर बनने और दोस्त की बातों ने सपनों को हवा देने का काम कर दिया। वो पुलिस की ट्रेनिंग में जाने से दो दिन पहले ही मुंबई भाग गए।
जब वह मुंबई पहुंचे तो असलियत का पता चला। दोस्त भी वहां संघर्ष कर रहा था। दोस्त से मिले धोखे की वजह से राजेंद्र कुमार काफी आहत हुए और उन्होंने शर्म के मारे घर वापस ना जाने का फैसला किया। फिर यहीं से राजेंद्र कुमार का फिल्मों में जाने का संघर्ष शुरू हुआ। अगर राजेंद्र कुमार फिल्मों में नहीं आते तो वो एक पुलिस वाले होते और अपराधियों के पीछे भाग रहे होते।
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80 में से 35 फिल्में जुबली हिट
80 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। 35 फिल्में जुबली हिट रहीं। राजेंद्र कुमार को सामाजिक कार्यों के लिए लाल बहादुर शास्त्री नेशनल अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था। ‘कानून’ और ‘मेहंदी रंग लाग्यो’ (गुजराती फिल्म) के लिए राजेंद्र को जवाहरलाल नेहरू से नेशनल अवॉर्ड भी मिला। 03 साल तक 1964, 1965 और 1966 में लगातार राजेंद्र कुमार को फिल्मफेयर में बेस्ट एक्टर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेशन मिला। 1969 में राजेंद्र कुमार को पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया।
इस वजह से कहा जाता था 'जुबली कुमार'
साल 1963 से 1966 के दौरान सभी फिल्में सुपरहिट हुई। कहा जाता है कि उस वक्त हर सिनेमाघर में राजेन्द्र कुमार की ही फिल्म लगी थी और सभी फिल्मों ने सिल्वर जुबली मनायी। जिस वजह से लोग राजेन्द्र कुमार को 'जुबली कुमार' कहकर बुलाने लगे।