नई दिल्ली: हिंदी और उर्दू दोनों ही मंचों पर अपनी शायरी से लोगों के दिलों में जगह बनाने वाली राजस्थान की शायरा लता हया ने पद्मावती विवाद पर चुप्पी तोड़ी है। इंडिया टीवी को दिए एक्सक्लूजिव इंटरव्यू में लता से जब पद्मावती फिल्म पर हो रहे विवाद पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने न सिर्फ राजस्थानियों से इस तरह विरोध न करने की अपील की है।
लता हया ने कहा- फिल्ममेकिंग एक रचना होती है, आप किसी कैरेक्टर को लेकर फिल्म बनाते हैं तो लोगों को उस विषय में जानकारी मिलती है। मैरी कॉम पर फिल्म बनती है मिल्खा सिंह पर फिल्म बनती है तो आजकल के बच्चे जो उनके बारे में नहीं जानते हैं वो जान पाते हैं। फिल्ममेकर हमें जानकारी पहुंचाते हैं। ये अच्छी बात है। लेकिन अगर आप फिल्ममेकिंग को कमाई का जरिया बना लेते हैं, और उसमें बेवजह का मसाला डालते हैं तो ये बात भी गलत है। आप इतिहास को तोड़ते मरोड़ते हैं। मैंने फिल्म नहीं देखी इसलिए पता नहीं, हमने बस पद्मावती के बारे में पढ़ा है, फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा क्या है। वैसे मैं फिल्ममेकर्स से भी कहना चाहूंगी कि इस तरह फिल्म बनाए कि तथ्यों से छेड़छाड़ न हो और फिल्म के साथ पूरा न्याय करें।
लता हया ने आगे यह भी कहा कि जो लोग फिल्म का विरोध कर रहे हैं उनके लिए मुझे यही कहना है कि खुशनसीब हैं आप लोग जो आपके शहर को फिल्माया जा रहा है। आपके कल्चर को पूरी दुनिया में दिखाया जा रहा है। आपकी रहन-सहन, आपका खानपान पूरी दुनिया में पहुंच रहा है। क्योंकि मीडिया ऐसा जरिया है जो... खुश्बू को बहुत शौक है उड़ने का मगर, मुमकिन नहीं ये हवाओं से रिश्ता किए बगैर। फिल्म हवा है जो खुश्बू को दूर-दूर तक पहुंचाता है। क्योंकि आपको विरोध करना है, क्योंकि आपको राजनीति करनी है, इसके लिए विरोध मत कीजिए, क्योंकि आपको पैसा कमाना है। दूसरी बात विरोध करने का भी एक तरीका होता है, स्टे ले लीजिए, गाली गलौच, मारपीट मत करिए। यह राजस्थान का कल्चर नहीं है। मैं राजस्थानी हूं और मुझे फक्र है इस पर, जहां मेहमान को भगवान समझा जाता है, ऐसे लोग मारपीट कैसे कर सकते हैं। हमारा राजस्थान ऐसा नहीं है।
बताते चलें, लता हया एक राजस्थान के ब्राह्मण परिवार की हैं, मगर उर्दू कविता के शौक की वजह से उन्होंने इस्लाम को भी करीब से समझा, और लता से वो लता हया बन गईं।
देखिए इंडिया टीवी के साथ लता हया का खास इंटरव्यू