राज बब्बर का जन्म 23 जून 1952 को उत्तर प्रदेश के टूंडला में हुआ था। बचपन से ही उनका रुझान अभिनय की ओर था और अपने इसी शौक को पूरा करने के लिए उन्होंने किसी और क्षेत्र में हाथ आजमाने की बजाय 'नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा' (एनएसडी) में दाखिला ले लिय़ा। एनएसडी से पढ़ाई खत्म करने के बाद वह मुम्बई चले गए। उन्हें फिल्म 'इंसाफ का तराजू' से लाइमलाइट मिली थी। फिल्म में वो रेपिस्ट के रोल में थे। इस फिल्म के बारे में बात करते हुए उन्होंने इंडिया टीवी के शो आप की अदालत में कहा था- ''नेगेटिव रोल होने की वजह से इन्साफ का तराजू में मेरा रोल करने को कोई तैयार नहीं था। ऐसे रोल से ऐक्टर की इमेज खराब होती है, लेकिन जब चोपड़ा साहब ने कहा कि यह रोल आपको करना है तो मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। मैं थिएटर का आदमी हूं, थिएटर में हम लोग वह रोल करते थे, और करते हैं, जो सेन्ट्रल रोल होता है। मुझे लगा इस फिल्म की पूरी कहानी इसी किरदार की वजह से है।''
''जब फिल्म की स्क्रीनिंग हुई तब मेरी मां वहां मौजूद थीं। फिल्म चलने लगी तो लोग खुलकर मेरे किरदार को गालियां देने लगे। फिल्म के बाद जब मां कार में बैठी तो रोने लगीं। मैने पूछा क्या हुआ तो मां ने कहा कि बेटा हम कम खा लेंगे, पर तू ऐसा काम मत कर। तब मुझे लगा था कि मेरी तीन साल की पूरी ट्रेनिंग और मेहनत को मेरी मां के उन लफ्जों ने कामयाब कर दिया।''
'इंसाफ का तराजू' की सफलता के बाद राज बब्बर, बी.आर. चोपड़ा के चहीते सितारों में से एक बन गए थे, इसके बाद से उन्होंने राज बब्बर को लगभग अपनी हर फिल्म में काम देना शुरु कर दिया था। राज बब्बर को उन सितारों में एक कहा जाता है जो किसी भी तरह के किरदार को बखूबी पर्दे पर उतारने में माहिर है। फिर चाहे वह हीरो या कोई विलन राज बब्बर इनमें बिल्कुल फिट बैठते हैं। उन्होंने लगभग 200 फिल्मों में काम किया है। जिनमे 'कलयुग', 'निकाह', 'अगारे', 'वारिस', 'घायल', 'आंखें', 'बरसात', 'महाराजा', 'बाघी', 'इंडियन', 'लोक करगिल', 'बंटी और बबली', 'कर्ज', 'बॉडीगार्ड', 'खिलाड़ी 786' जैसी फिल्में अहम रहीं।
अभिनय के साथ-साथ राज बब्बर अपने रिश्तों को लेकर भी जानें जाते हैं। जब राज फिल्मों में अपना करियर बनाने के लिए स्ट्रगल कर रहे थे तभी उनकी मुलाकात सज्जाद जहीर की बेटी नादिरा से हुई और उन मुलाकतों में दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया, जिसके बाद दोनों ने 1975 में शादी कर ली। लेकिन राज की जिंदगी में शायद प्यार की कमी पूरी नहीं हुई थी और 1982 में राज ने स्मिता पाटिल के साथ एक फिल्म की 'भीगी पलकें', जिसके दौरान स्मिता को राज से प्यार हो गया और दोनों एक दूसरे के प्रेम बंधन में बंधते चले गए। कहा जाता है कि राज, स्मिता पाटिल के प्यार में इतने दीवाने थे कि 80 के दशक के जमाने को अनदेखा कर राज बब्बर, स्मिता के साथ लिव-इन में रहने लगे और उन्होंने अपनी पहली पत्नी नादिरा को छोड़कर स्मिता से शादी कर ली थी और दोनों को एक बेटा भी हुआ प्रतीक बब्बर। प्रतीक के जन्म के बाद ही स्मिता का देहांत हो गया। स्मिता की मृत्यु के बाद राज फिर से अपनी पहली पत्नी नादिरा के पास लौट आए।
फिल्मों के अलावा राज बब्बर राजनीति में भी काफी सक्रिय हैं, राज ने अपने पॉलिटिकल करियर की शुरूआत 1989 में जनता पार्टी से की थी। इसके कुछ वर्षों बाद वह समाजवादी पार्टी से जुड़ गए और तीन बार सांसद चुने गए। 2006 में राज बब्बर को समाजवादी पार्टी ने निकाल दिया गया और इसके दो साल बाद 2008 में राज ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली।
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