इस फिल्म की शूटिंग राहुल के जीवन की सबसे मुश्किल और पेचीदा शूटिंग रही है। वह कहते हैं, "इस फिल्म की शूटिग मेरे करियर की सबसे मुश्किल शूटिंग रही है। मुझे इसके लिए सैन्य अभियान की भांति योजना बनानी पड़ती थी, जो थका देने वाली थी। हमने दार्जिलिंग की हसीन वादियों और माउंट एवरेस्ट की चोटी व भोंगी जैसे पहाड़ों पर शूटिंग की। भोंगी में ही पूर्णा ने पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लिया था।"
उन्होंने बताया, "हैदराबाद से पांच-छह किलोमीटर दूर पकाला गांव से शूटिंग की शुरुआत की। वहां बुनियादी ढांचागत सुविधाएं नहीं थी। गांववालों ने बहुत सहयोग दिया। हमने 45 डिग्री तापमान में काम किया। हमें 650 फुट ऊंचे भोंगी पहाड़ पर शूटिंग करनी पड़ी। चट्टान का तापमान 40-50 डिग्री सेल्सियस था। 300 फुट की ऊंचाई वाली चट्टान पर शूटिंग की जो बहुत थकाने वाली रही।"
उन्होंने आगे कहा, "सैन्य ऑपरेशन की तरह शूटिंग की योजना बनानी पड़ती थी। भारत-चीन सीमा के पास शूटिंग सबसे अधिक थकाने वाली रही। शूटिंग के लिए मैंने दो महीने पहले रेकी की थी। यह मेरी जिंदगी की सबसे मुश्किल भरी शूटिंग रही है।"