नई दिल्ली: राज बब्बर और स्मिता पाटिल के बेटे प्रतीक बब्बर ने साल 2008 में फिल्म 'जाने तू..या जाने ना' से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। फिल्म में उनकी एक्टिंग की तारीफ हुई थी। लोगों को लगने लगा कि प्रतीक लंबी रेस का घोड़ा हैं, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। प्रतीक धीरे-धीरे नशे के आदि हो गए, जिसके कारण उनके हाथ से कई मेन लीड वाली फिल्में निकलने लगी। करियर में अपनी धीमी रफ्तार का जिम्मेदार प्रतीक खुद अपने नशे की लत को मानते हैं।
प्रतीक धोबी घाट में भी नजर आ चुके हैं। बागी 2 से उन्होंने करीब 3 साल बाद बड़े पर्दे पर वापसी की है। जब उनसे पूछा गया कि क्या वह अपने धीमे करियर के लिए नशे के सेवन को जिम्मेदार ठहराते हैं तो प्रतीक ने आईएएनएस को बताया, "जी हां, मैं अपने कृत्यों की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं और खुद को और दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों दोनों को साथ में जिम्मेदार ठहराता हूं।"
31 वर्षीय एक्टर ने फिल्म जगत में एक दशक पूरा कर लिया और इसे उतार चढ़ाव से भरा सफर करार दिया। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि इस इंडस्ट्री में मेरे सफर के 10 साल काफी उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं। मुझे किसी चीज का पछतावा नहीं है सिवाए एक के कि मेरे दादा-दादी मेरी जिंदगी के इस पड़ाव में अच्छी चीजों को देखने के लिए यहां नहीं हैं। मुझे लगता है कि पछतावा सिर्फ भार है और उससे केवल निराशा ही मिलती है।"
'एक दीवाना था' के अभिनेता की हालिया फिल्म 'मुल्क' को समीक्षकों और दर्शकों से काफी सराहना मिली है। प्रतीक अब बड़े पर्दे पर और अधिक प्रभावशाली किरदार निभाने की ओर अग्रसर हैं।
उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि कंटेंट आधारित प्रभावशाली किरदार निभाना चुनौतीपूर्ण है लेकिन यह प्रतिष्ठित किरदार भी होते हैं और यह ऐसा कुछ है जो मुझे लगता है कि मैं इसके लिए इच्छुक हूं और मैं ऐसे किरदारों की उम्मीद कर रहा हूं।"
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