बॉलीवुड आजकल देशभक्ति के रंग में रंगा हुआ है। स्वराज की बहुरंगी अवधारणा फिर जीवित हो उठी है और देशभक्तों के लिए जंग का मैदान भी सज चुका है। बात हो रही है बॉलीवुड में साथ साथ रिलीज होने जा रही दो पीरियड फिल्मों की जिनकी स्क्रिप्ट देशभक्ति से सजी है। दोनों ही के ट्रेलर लॉन्च हुए हैं। पहली फिल्म है पानीपत और दूसरी है तान्हाजी द अनसंग वॉरियर।
दोनों ही फिल्में मराठाओं की स्वराज की लड़ाई पर केंद्रित हैं। हमारे देसी शासकों की और मुगल आक्रांताओं से जंग की कहानी है। लगान जैसी फिल्म बना चुके आशुतोष गोवारिकर ने जहां पानीपत के जरिए मराठा स्वराज्य की जंग को आधार बनाया है वहीं तान्हाजी के जरिए अजय देवगन की फिल्म छत्रपति शिवाजी राव के रणबांकुरे के जरिए स्वराज की जंग और देशभक्ति का जज्बा भरने को तैयार है। दोनों ही फिल्में देश की रक्षा करने वाले और स्वराज के लिए लड़ने वालों की दास्ता कहती है, ऐसे में कौन सी फिल्म दर्शकों के दिल में देशभक्ति का जज्बा भर पाएगी, ये तो बॉक्स ऑफिस पर पता चलेगा।
पानीपत की बात करें तो पानीपत के मैदान पर हुई तीन महीने तक चली बहुचर्चित जंग जिसमें दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से मराठा हार गए थे। मुगलों के खिलाफ चली इस जंग में मराठा सरदार सदाशिव राव भाऊ ने जो कौशल दिखाए, फिल्म उसी पर आधारित है। देखा जाए तो फिल्म मराठों की जिंदादिली की कहानी काफी शानदार तरीके से कहेगी ऐसा माना जा रहा है।
फिल्म में संजय दत्त अब्दु शाह अब्दाली के रोल में शानदार लगे हैं। सदाशिव की पत्नी के किरदार में कृति सेनन ने बाजीराव मस्तानी में बाजीराव की पत्नी प्रियंका की याद दिला दी है। हालांकि नायक के तौर पर अर्जुन कपूर को लिया गया है और उनको ट्रेलर में कम जगह दिए जाने के चलते यह तय करना मुश्किल है कि आशुतोष ने अर्जिन कपूर पर दांव क्यों लगाया।
अब बात करते हैं तान्हाजी द अनसंग वॉरियर की। इसका भी ट्रेलर आ चुका है। दमदार एक्शन सीन और बेहतरीन पिक्चराइजेशन के चलते इसकी चर्चा आजकल जोरों पर है। अजय देवगन इस फिल्म में छत्रपति शिवाजी के स्वराज अभियान के अहम योद्धा सूबेदार तानाजी मालुसरे बने हैं जो मुगलों से अपने क्षेत्र कोंढाना को बचाते हैं। यह फिल्म भी पीरियड ड्रामा है और आक्रांताओं से जंग दिखाती है लेकिन इसमें छत्रपति शिवाजी महाराज का स्वराज का सपना दिखता है। फिल्म के प्रोड्यूसर्स ने इस फिल्म को मुगलों पर मराठों की सर्जिकल स्ट्राइक कहा है और अजय देवगन की यह 100 फिल्म है। इस लिहाज से अजय ने इस फिल्म में बहुत मेहनत की है। काजोल का स्पेशल अपीयरेंस भी सोने पर सुहागा है।
फिल्म का सरप्राइजिंग पैकेज हैं सैफ अली खान जो उदयभान बने हैं। विलेन के रोल में सैफ अली खान कहीं कहीं पर अजय देवगन से 21 ही बैठ रहे हैं। इस फिल्म ने अजय और सैफ की जुगलबंदी वाली फिल्म ओंकारा की याद ताजा कर दी है।
खलनायकों की बात करें तो पानीपत में संजय दत्त अब्दुल शाह अब्दाली में कुछ ज्यादा प्रौढ लगे हैं तो तानाजी में सैफ बिलकुल खलनायक लगे हैं। नायको की बात करें तो पानीपत के अर्जुन कपूर से ज्यादा एक्सप्रेशन अजय देवगन के पास हैं। पानीपत में जहां कृति सेनन के लिए करने को काफी कुछ है वहीं तान्हाजी में काजोल के पास कुछ डायलॉग्स के अलावा कुछ खास नहीं दिखता।
बात करें डायरेक्शन की तो पीरियड फिल्में बनाने का अनुभव आशुतोष गोवारिकर के काम आ सकता है। तान्हाजी के डायरेक्टर ओम राउत हैं औऱ उनके पास ऐसा एक्सपीरिएंस तो नहीं लेकिन अजय देवगन, सैफ अली खान और काजोल जैसे सशक्त कलाकार आमतौर पर डायरेक्शन जैसी कठिन चीज को सहज और बेहतर बनाने में काम आ सकते हैं।
पानीपत छह दिसंबर को रिलीज हो रही है और तान्हाजी 10 जनवरी को। किन्हीं दो फिल्मों की एक जैसी थीम हो तो पहली फिल्म ज्यादा फायदा पहुंचाएगी, ऐसी धारणा को आयुष्मान खुराना की फिल्म बाला तोड़ चुकी है। अब देखना है कि डायरेक्शन और अदाकारी की इस जंग में कौन सी फिल्म दर्शकों के भीतर देशभक्ति स्वराज का जज्बा जगा पाने में कामयाब होगी।