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'पद्मावत' पर बैन कैसे राजस्थन पर्यटन के लिए बन गया वरदान?

'पद्मावत' लंबे वक्त तक विवादों में रहने के बाद आखिरकार अब रिलीज होने जा रही है। हालांकि अब भी कई राज्यों में इसे प्रदर्शित नहीं किया जाने वाला है। इन्हीं में से एक राजस्थान भी है, जहां इस फिल्म पर रोक लगा रखी है।

Edited by: India TV Entertainment Desk
Published : January 15, 2018 15:03 IST
padmaavat
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जयपुर: फिल्मकार संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावत' लंबे वक्त तक विवादों में रहने के बाद आखिरकार अब रिलीज होने जा रही है। हालांकि अब भी कई राज्यों में इसे प्रदर्शित नहीं किया जाने वाला है। इन्हीं में से एक राजस्थान भी है, जहां इस फिल्म पर रोक लगा रखी है। हालांकि राजस्थान में 'पद्मावत' पर प्रतिबंध लगना ऐसा मालूम पड़ रहा है, जैसे कि यह राज्य के पर्यटन उद्योग के लिए वरदान बन गया है। राज्य का मेवाड़ क्षेत्र जो रानी पद्मिनी के बारे में किस्से-कहानियों का घर है, वहां दिसंबर 2017 में पर्यटकों की संख्या में भारी इजाफा देखा गया।

संजय लीला भंसाली की फिल्म को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध होने के बाद भारतभर से बड़ी संख्या में लोग पिछले महीने और जनवरी के पहले सप्ताह में क्षेत्र के महत्वपूर्ण शहरों में घूमने आए हैं, जिसमें चित्तौड़गढ़ और उदयपुर शामिल हैं। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म 'पद्मावती' का नाम बदलकर 'पद्मावत' करने और कुछ बदलाव करने पर आखिरकार सेंसर बोर्ड ने फिल्म को हरी झंडी दिखा दी। चित्तौड़गढ़ के सहायक पर्यटन अधिकारी शरद व्यास ने कहा कि पद्मिनी के गृह नगर चित्तौड़गढ़ में आने वाले पर्यटकों की संख्या में दोगुनी वृद्धि हुई है। दिसंबर 2017 में 81,009 पर्यटक आए, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 40,733 पर्यटक आए थे।

कहा जाता है कि अपने पति रतन सिंह के दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के हाथों पराजित होने के बाद चित्तौड़गढ़ किले में ही रानी पद्मिनी ने अपनी इज्जत व स्वाभमान की रक्षा के लिए जौहर (कुंड में आग लगाकर उसमें कूद जाना) किया था। व्यास ने बताया, "पर्यटक रानी पद्मिनी से संबंधित स्थलों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहते हैं। फिल्म 'पद्मावत' को लेकर इतना कुछ होने के बाद शहर को देश में अचानक से इतनी लोकप्रियता मिल गई।"

क्रिसमस (25 दिसंबर) से लेकर जनवरी के पहले सप्ताह में आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी अचानक से भारी वृद्धि देखी गई है। एक पंजीकृत सरकारी गाइड सुनील सेन ने बताया कि लोगों में इतिहास के प्रति ज्यादा जागरूकता बढ़ी है। वे पद्मिनी, उनके पति रावल रतन सिंह और अलाउद्दीन से संबंधित किस्सों के बारे में पूछते हैं। वे ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी के साथ आते हैं और ऐतिहासिक स्थलों को देखने की ख्वाहिश जताते हैं, जहां ऐतिहासिक घटनाएं हुईं। उन्होंने कहा कि चित्तौड़गढ़ के ज्यादातर पर्यटक उस दर्पण को देखने के लिए आते हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि खिलजी को रानी पद्मिनी का चेहरा उसी दर्पण में दिखाया गया था।

सेन ने कहा कि लोग यह जानने के लिए भी उत्सुक रहते हैं कि रानी ने पति की हार के बाद किस जगह 16,000 महिलाओं के साथ जौहर किया था। उन्होंने बताया कि 31 दिसंबर 2017 (रविवार) को लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। टिकट खत्म हो जाने पर किले के फाटक को जल्द बंद करना पड़ा। यहां तक कि गाइड की मांग भी बढ़ गई है, क्योंकि लोग रानी पद्मिनी की कहानियां सुनना चाहते हैं। चित्तौड़गढ़ के होटल मीरा के मालिक सुधीर गुरनानी ने कहा कि यहां आने वाले पर्यटक महाराणा प्रताप और मेवाड़ की संस्कृति के बारे में जानने के लिए उदयपुर भी गए। उदयपुर के एक गाइड अरुण कुमार रेमतिया ने कहा कि झीलों के शहर उदयपुर आने वाले पर्यटक चित्तौड़गढ़ और रानी पद्मिनी के बारे में भी पूछ रहे हैं। कई लोग यहां चित्तौड़गढ़ होते हुए आ रहे हैं। उदयपुर के लेक पिछोला होटल की सेल्स मैनेजर श्रुति ने भी इस बात की पुष्टि की है कि शहर में अब तक ज्यादातर विदेशी पर्यटक ही बड़ी संख्या में आते थे, लेकिन इस बार घरेलू पर्यटकों की संख्या में भी वृद्धि देखने को मिली है। पर्यटकों की बढ़ती संख्या रानी पद्मिनी और उनसे जुड़ी गाथा को लेकर उनकी उत्सुकता व जिज्ञासा को दर्शाती है।

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