फिल्म: अक्टूबर
निर्माता: शूजित सरकार
निर्देशक: शूजित सरकार
संगीत: शांतनु मोइत्रा
कलाकार: वरुण धवन, बनिता संधू, साहिल वडोलिया
रेटिंग: * * * *
क्या आप एक ऐसा सपना देखना चाहते हैं जिसमें संवेदना में डूबी हुई प्रेम कहानी हो,जिसकी कहानी में नदी की लहरों की तरह बहाव हो और जो आपको अपने आप में समेट लें’? तो आपको शूजित सरकार के निर्देशन में बनीं और वरुण धवन,शिवली और मंजित के अभिनय से सजी फिल्म ‘अक्टूबर’ को देखना चाहिए। एक ऐसी फिल्म जो प्यार के जज्बात को अपने ही अलग अंदाज में बयां करती है और आपको धीरे-धीरे ऐसे जकड़ती है मानों आपकी दुनिया बस यही है। शूजित सरकार के निर्देशन की खास बात रही है कि उनकी फिल्मों के किरदार जीवंत से नजर आते हैं और कहानी बातों-बातों में नदी के बहाव की तरह बहती चली जाती है। ‘विक्की डोनर’ के लिए नेशनल अवार्ड जीत चुके शूजित सरकार की फिल्मों में संवदेना का चित्र कहानी के साथ जैसे-जैसे आगे बढ़ता है आप उससे जुड़ते चले जाते हैं। फिल्म ‘पीकू’, ‘पिंक’, ‘मद्रास कैफे’ और ‘यहां’ के बाद ‘अकटूबर’ में भी शूजित सरकार ने दिल छू लेने वाली ऐसी ही कहानी कहीं है, प्यार की इस कहानी में जिंदगी की ऐसी इबारत है जिसके हर पन्ने में आपको दिलचस्पी नजर आएगी। फिल्म लेखिका जूही चतुर्वेदी और शूजित सरकार जब भी साथ आते हैं तो एक बेहतरीन सिनेमा की कहानी से हमारा परिचय होता है, जो आम आदमी की सामान्य सी जिंदगी की असमान्य कहानी की बात करती है।
फिल्म का निर्देशन जितना बेहतरीन बन पढ़ा है, उतनी ही शानदार काम फिल्म की पटकथा लेखन में जूही चतुर्वेदी ने किया है। और इन दोनों के इस काम को नए मुकाम पर कोई ले गया है तो फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक और इस बात के लिए आपको शांतनु मोइत्रा की तारीफ करनी होगी। फिल्म की कहानी में संवाद सामान्य आदमी की बोलचाल भाषा में सामान्य से नजर आते हैं लेकिन बैकग्राउंड म्यूजिक ने उसमें एक नई जान डाल दी है इस बात में कोई दो राय नहीं।यूं तो कहानी बहुत सिंपल सी है दिल्ली के पंचसिंतारा होटल में काम करने वाले ट्रैनी दानिश (वरुण धवन) जिसका सपना अपना एक रेस्तरां खोलने का है, लेकिन उसकी आदत कुछ ऐसी है कि वह अपने किसी काम को गंभीरता से नहीं लेता है।होटल काम पर जाना,घर आना और सो जाना यहीं उसकी जिंदगी की डेली लाइफ है।शिवली (बनिता संधू) और मंजित (साहिल वडोलिया) जैसे दोस्त भी उसके साथ ही रहते हैं। फिल्म की कहानी और दानिश की जिंदगी में रोचक मोढ़ तब आता है जब एक दुर्घटना में शिवली घायल हो जाती है और कोमा में चली जाती है। इसके बाद इस सामान्य सी दिखने वाली कहानी में इतने असमान्य बदलाव आते हैं, जो इसे कुछ अलग सी प्रेम कहानी की तरफ ले जाते हैं,जिसे देखना अपने आप में रोचक और दिल छू लेने वाला है।
आप इस फिल्म में वरुण धवन के संजीदा अभिनय को देखकर ‘जुड़वां-2’ के उनके किरदार को भूल जाएंगे। सिनेमा जिसे कहते हैं,अभिनय उसी पाठशाला का नाम है और वरूण धवन फिल्म ‘अक्टूबर’ में इसके सबसे बेहतरीन स्टूडेंट बनकर निकले है। शिवली की भूमिका में बनित संधू ने प्रभावी रोल करते हुए अपने किरदार को जींवत बना दिया है और दर्शकों पर अपना प्रभाव छोड़ने में वह सफल रहीं हैं।
खूबसूरत संगीत, बेतरीन पटकथा और नदी के बहाव की तरह बहती एक सामान्य आदमी की कुछ हटके इस प्रेम कहानी को देखने का अनुभव अपने आप में खास है और इस बात के लिए फिल्म निर्देशक शूजित सरकार को साधुवाद देना चाहिए। वरूण धवन के फिल्मी जीवन में 'अक्टूबर' एक बेहतरीन संजीदा फिल्म के रूप में शामिल होगी जो हर फिल्म अभिनेता की चाहत होती है।
आखिर क्यों देखनी चाहिए फिल्म ‘अक्टूबर’
लंबे समय से अगर आप एक अलग कहानी पर बनीं फिल्म देखने की इच्छा रखते आएं हैं तो इस फिल्म को आपको जरूर देखना ही चाहिए क्योंकि हर किसी की जिंदगी में एक ‘धूप का टुकड़ा’ होता है जो कुछ अपनापन लिए हुए होता है। हिन्दी सिनेमा की नई सी कहानी कहती फिल्म ‘अक्टूबर’ कुछ ऐसी ही कहानी को बयां करती है। जब एक बेहतरीन पटकथा किसी निर्देशक को मिलती है तो उसे जबरदस्त निर्देशन के माध्यम से नए शिखर पर ले जानें का चैलेंज होता है,फिल्म अक्टूबर की कहानी में जूही चतुर्वेदी के कलम की धार, शूजित सरकार के निर्देशन का कमाल से ऐसी ही एक बेहतरीन फिल्म ‘अक्टूबर’ बन पड़ी है। यह एक ऐसी फिल्म है जिसे देखना अपने आप में एक अलग अनुभव से गुजरना है जो हिन्दी सिनेमा जगत के लिए एक नई हवा की दस्तक की तरह है।यह बॉलीवुड की नई हवा है 'बॉक्स-ऑफिस' पर जाकर इसका स्वागत कीजिए आपको एक दम नए पन की सु:खद अहसास दिलाते सिनेमा की नई जुगलबंदी पंसद आएगी।