Kabir Singh फिल्म में शाहिद कपूर(Shahid kapoor)के गुस्सैल किरदार की आलोचनाओं का दौर सोशल मीडिया पर जारी है। आलोचक कह रहे हैं कि फिल्म में हर तरह का बुरा काम करने वाला नायक भारतीय जनमानस के गले नहीं उतरता फिर क्यों उसे फिल्म का नायक बनाया गया है। भारतीय फिल्मों के दर्शक यूं भी अपने नायक में सीधा, सच्चा पवित्र औऱ अच्छे कामों को वरीयता देने वाले शख्स को खोजते हैं। दर्शकों की इसी मानसिकता को भुनाते हुए फिल्मकार भी हिंदी फिल्म के नायक को इतना शरीफ दिखा देते थे कि वो सतयुग से आया मालूम पड़ता था। लेकिन सवाल ये है कि जब समाज ही ऐसे लोगों को नहीं रहा तो नायक कैसे बना रहेगा। यूं भी फिल्में समाज का आइना है तो अपना ही आइना क्यों बुरा लग रहा है भारतीय दर्शकों को।
लेकिन फिर भी bollywood में समय समय पर भारतीय दर्शकों की मानसिकता से उलट फिल्मकारों ने अपनी सोच को तजरीह देते हुए कुछ ऐसे किरदार बनाए और स्क्रीन पर दिखाए जो हिट तो बहुत हुए लेकिन दर्शकों ने उनका विरोध भी बहुत किया। आइए ऐसे ही कुछ हटकर किरदारों की बात करते हैं जो नायक तो थे लेकिन नायकत्व के पैमाने पर खरे नहीं उतरते थे,उनके ग्रे शेड्स पर काफी बहसें हुई।
गाइड (GUIDE) का फरेबी नायक
गाइड फिल्म में देव आनन्द झूठ बोलकर पहले हीरोइन की शादी तुड़वाता है, फिर झूठ बोलकर ही अपने प्यार को हासिल करता है। पूरी फिल्म में एक आम इंसान की तरह नायक पहले खुद के बारे में सोचता है। गुरु बनकर गांव वालों को धोखा देना, हालांकि आखिर में भीतर की आत्मा जागती है तो वो नायक बनकर ही मौत के आगोश में जाता है। उस समय ऑडिएंस ने इस तरह के नायक की आलोचना की थी।देवदास (DEVDAS)का नशे में डूबा रहने वाला नायक
देवदास भी आलोचनाओं से बच न पाएं। न दिलीप कुमार बच पाए और न ही शाहरुख खान। हीरोइन को मारने , प्रताड़ित करने और हर समय शराब में डूबे रहने वाला नायक भला किसे पसंद आएगा। इस नायक के दिल के हर पोर में बसा प्रेम और प्रेम का ये अतिरेक लोगों को हजम नहीं हो पाया। फिल्म भले हिट रही लेकिन ये नायक लोगों को पसंद नहीं आया।
सत्या (SATYA)का भीखू म्हात्रे
अंडरवर्ल्ड जैसे विषय पर जब फिल्में बनने लगी तब फिल्मकारों ने नायकत्व का नए रूप में परोसा। वो नशा करता है, गलत काम करता है, हत्या, लूट फरेब सब करता है, फिर भी वो नायक है तो मासूम होगा। उसका एनकाउंटर होता है और दर्शक ये सोचकर घर लौटता है 'हाय वो सुधरने ही वाला था कि पुलिस ने मार डाला, अब बेचारी हीरोइन का क्या होगा'।
डर (DARR)वाला शाहरुख खान
शाहरुख खान ही दरअसल ऐसे एक्टर हैं जिन्होंने खलनायक की छवि वाले नायक के किरदार को बॉलीवुड में स्थापित किया और वो भी डंके की चोट पर। डर में हीरोइन का पीछा करना,उसे डराना, हत्या तक कर डालना किस नायक को शोभा देगा। लेकिन शाहरुख ने इस रोल को इतनी शिद्दत से निभाया कि लोग भी एकबारगी चौंक गए।
निशब्द (NISHABD) में बूढ़े अमिताभ का प्रेम
निशब्द में बूढ़ा हो चुका नायक एक टीनेजर से प्रेम करता है। भारतीय जब जवान के प्रेम को नहीं समझ पाते तो बूढ़े के प्रेम को क्या समझेंगे। लिहाजा लोगों ने अमिताभ जैसे महान अभिनेता के इस किरदार को नकार दिया। अमिताभ ने भी तौबा कर ली कि अब ऐसे रोल नहीं करेंगे।
ओमकारा (OMKARA)का लंगड़ा त्यागी
सैफ के जीवन की सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक थी ओमकारा। इस फिल्म में सैफ ने एक जलनखोर दोस्त की भूमिका निभाई। उनकी एक्टिंग जबरदस्त थी और शायद ये किरदार हर मनुष्य के भीतर कहीं छिपा होता है। लेकिन इसकी भी आलोचना हुई।
धूम 2 (DHOOM2)का चोर ऋतिक रौशन
अब नायक भला चोर होगा तो दर्शकों को कैसे हजम होगा। चोरी करना तो बुरी बात है, भले ही चोर सुंदर,स्टाइलिश और स्याना हो, लेकिन है तो चोर ही। नायक चोर कैसे हो सकता है, वो तो पुलिस ही बनेगा। यूं भी हर बच्चा बड़ा होकर पुलिस या डॉक्टर ही बनना चाहता है। लेकिन इस फिल्म का नायक चोर है, वो प्यार भी करता है औऱ प्यार की खातिर जब चोरी छोड़ता है तो दर्शकों को राहत मिलती है। आखिर में ही सही हमारा नायक तो बन पाया।