हीबा एक साल की ही हुई थी कि दोनों झगड़े बढ़ने लगे और उन्होंने एक दूसरे से अलग होने का फैसला कर लिया। लेकिन इनके निकाहानामा में मेहर की जो रकम दर्ज की गई थी उसे न चुका पाने के वजह से नसीर, परवीन को तलाक नहीं दे सकते थे। इसके वर्ष 1982 में जब नसीरुद्दीन ने मेहर की रकम अदा की तब वह परवीन को तलाक दे पाए थे। अलग होने के कुछ सालों बाद परवीन अपनी बेटी को लेकर इरान चली गईं और उन्होंने नसीर को भी कहा कि वह हीबा के साथ कोई कॉ़न्टेक्ट नहीं रखेंगे। हालांकि कुछ वक्त से बाद हीबा खुद ही पिता नसीर के पास आकर रहने लगी थीं।