फिल्म समीक्षा: अक्षरा हासन, विवान शाह और गुरमीत चौधरी की फिल्म ‘लाली की शादी में लड्डू दीवाना’ आज रिलीज हो गई। मनीषा हरिशंकर इस फिल्म के निर्देशक हैं।
कहानी कुछ ऐसी है कि लड्डू (विवान शाह) अपनी गर्लफ्रेंड लाली (अक्षरा हासन) को गर्भवती होने के बाद छोड़ देता है। क्योंकि उसके लिए उसका करियर ज्यादा जरूरी था। लाली इस धोखे से टूट जाती है लेकिन वो अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने का फैसला करती है। लाली की जिंदगी में एंट्री होती है वीर (गुरमीत चौधरी) की।
लाली फिर से खुश होने की कोशिश करती है लेकिन आम बॉलीवुड फिल्मों की तरह फिर से एंट्री होती है एक्स लवर लड्डू की। वो अपनी गलती पर पछतावा करना चाहता है। फिल्म का सस्पेंस बस इतना है कि लाली लड्डू को मिलेगी या वीर को।
अभिनय की बात करें अक्षरा की एक्टिंग थोड़ी-बहुत सुधरी है, लेकिन अभी भी वो अच्छी अभिनेत्री की सूची में नहीं हैं। इस फिल्म में भी उनकी एक्टिंग ऐसी ही थी। विवान शाह अपने किरदार में ठीक लगे हैं। गुरमीत अच्छे अभिनेता हैं समझ में नहीं आता कि उन्हें ऐसे साइड रोल करने की जरूरत क्यों पड़ गई?
फिल्म में सौरभ शुक्ला जैसे मंझे हुए कलाकार भी हैं। लेकिन फिल्म की खराब कहानी और डायरेक्शन की वजह से वो कमाल नहीं दिखा पाए।
संगीत की बात करें तो सिनेमाहॉल से लौटते वक्त आपको फिल्म का कोई भी गाना याद नहीं रहेगा।
फिल्म को देखने जाने की कोई वजह नहीं है, बेहतर होगा कि आप इस वीकेंड कोई और काम निपटा लें।
फिल्म के एक सीन पर जो विरोध प्रदर्शन हुआ था उसका भी फिल्म को कोई फायदा नहीं मिलने वाला है।
इस फिल्म को हम 1.5 स्टार देंगे।