फिल्म समीक्षा: छोटा शहर और मिडिल क्लास फैमिली, जहां जरा-जरा सी बात पर अपने और अपने परिवार की खुशी से ज्यादा इस बात का ख्याल रखा जाता है कि 'चार लोग क्या कहेंगे... ' वहां जब बात शादी की हो तो हर कदम फूंक-फूंककर रखा जाता है। अच्छा लड़का हाथ से न निकल जाए इस चक्कर में औकाद से बाहर जाकर दहेज के लिए हां कर दिया जाता है। अभिनेता राजकुमार राव की एक फिल्म आई है, नाम है ‘शादी में जरूर आना’। अब उन्होंने इतने प्यार से बुलाया तो हम भी पहुंच गए। आइए अब आप सबको भी बताते हैं वहां शादी में क्या-क्या हुआ?
कहानी: यह कहानी दो परिवारों की है। एक परिवार है लड़केवाला... जहां सत्येंद्र उर्फ सत्तू (राजकुमार राव) अपने मां-बाप और छोटी बहन के साथ रहता है, हाल ही में उसकी क्लर्क की नौकरी लगी है। दूसरा परिवार है लड़कीवालों का, जहां आरती शुक्ला (कृति खरबंदा) अपने मम्मी-पापा के साथ रहती है। आरती अभी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से एमए कर रही होती है, दोनों शादी से पहले एक दूसरे से मिलते हैं, और पसंद कर लेते हैं इसके बाद दोनों की शादी 25 लाख रुपये के दहेज के साथ तय हो जाती है। लेकिन शादी वाले दिन ही PCS मेंस का रिजल्ट आता है और आरती का मेंस क्लियर हो जाता है। अब उसके सामने दो रास्ते बचते हैं, वो शादी छोड़कर इंटरव्यू की तैयारी करे और ऑफिसर बन जाए या फिर जिससे वो प्यार करती है उससे शादी करके हाउसवाइफ बन जाए, क्योंकि सत्येंद्र की मम्मी पहले ही बोल देती हैं हम अपनी बहू को नौकरी नहीं करने देंगे। आखिरकार आरती अपना करियर चुनती है और घर से भाग जाती है। उधर सत्येंद्र जब सपने सजाकर बारात लेकर पहुंचता है तो उसका दिल टूट जाता है। 5 साल बाद सत्येंद्र और आरती का दोबारा आमना-सामना होता है। इस बार आरती ऑफिसर बन चुकी होती है... और सत्येंद्र आईएएस क्लियर करके लखनऊ का डीएम बन जाता है। इसके बाद शुरू होती है इंतकाम की कहानी। किस तरह सत्येंद्र अपना बदला लेता है और फिर आगे क्या होता है... उसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
अब बात करते हैं यह फिल्म हमें देखनी चाहिए या नहीं? अगर आप एथिक्स की बातें करेंगे तो इस फिल्म में ऐसा बहुत कुछ दिखाया गया है जो अखरता है... जैसे 25 लाख जैसी बड़ी रकम में शादी तय हुई है, लेकिन हीरो और हीरोइन इस मसले पर कुछ नहीं बोलते हैं, जैसे ये तो हिस्सा है शादी का...। दूसरा लड़की के घरवाले रिश्ता टूटने के बाद जब अपना 18 लाख कैश वापस मांगते हैं उसे वापस करने में लड़के के घरवाले इस तरह इमोशनली टूटते हैं और रोते हैं जैसे वो अपने घर का पैसा दे रहे हों। एक और चीज जो अखरती है वो यह कि एक लड़की जो करीब 4 साल से पीसीएस अफसर है, न जाने कितनी मुसीबतें उसने झेली होंगी, इस बार उसके साथ गलत हो रहा है मगर वो चुपचाप सहती है। जो लड़की अपनी शादी से भागने जैसा कदम उठा सकती है उसका इस तरह से बिहैव करना फिल्म को कहीं न कहीं कमजोर करता है।
फिल्म की शुरूआत बहुत अच्छी हुई थी लेकिन क्लाइमैक्स खींचा गया है। फिल्म जहां खत्म हो जानी चाहिए वहां सीरियल्स की तरह उसे जबरदस्ती बढ़ाया गया है। लेकिन... लेकिन... लेकिन... बावजूद इन कमियों के फिल्म इस तरह बुनी गई है कि आप उससे पूरी तरह जुड़ा महसूस करेंगे। आपको यह कहानी कई जगह अपनी सी लगेगी। बहुत ही प्यारी लव स्टोरी है, जिसे आपको मिस नहीं करना चाहिए।
फिल्म की कहानी कई फिल्मों से मिलती जुलती भी है। जैसे झुमके दिलाने वाला सीन और छत पर आरती और उसकी दीदी की बातचीत वाला सीन आपको ‘तनु वेड्स मनु’ की याद दिलाएगा, लड़की के भागने वाला सीन लगभग ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ जैसा लगता है। फिल्म का आखिरी सीन तो राजकुमार राव की ही फिल्म ‘बरेली की बर्फी’ से काफी मिलता-जुलता है।
एक्टिंग की बात करें तो राजकुमार राव बहुत अच्छे लगे हैं, वो हर बार हर किरदार से हमें चौंकाते हैं, इस बार भी पूरी फिल्म में वो छाए रहे हैं। कृति खरबंदा इससे पहले इमरान हाशमी के साथ फिल्म ‘राज रिबूट’ और ‘गेस्ट इन लंदन’ में नजर आ चुकी हैं। इस फिल्म में उनकी एक्टिंग शुरूआत में तो अच्छी रही लेकिन पीसीएस बनने के बाद उनकी एक्टिंग में मैच्योरिटी की थोड़ी सी कमी लगी है।
फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा है, गाने अच्छे हैं जो बीच-बीच में आकर आपको एंटरटेन करेंगे। फिल्म की शूटिंग इलाहाबाद और लखनऊ में हुई है, फिल्म में कानपुर और बनारस का भी फ्लेवर है तो आप खूब एन्जॉय करेंगे। फिल्म पूरी तरह पैसा वसूल है। अगर आप यूपी के हैं तो इस शादी में जाने के बाद आपको लगेगा आप अपने ही गांव-घर की शादी में हैं। यह एक हल्की-फुल्की कॉमेडी और रोमांटिक फिल्म है, अगर आप चाहे तो इस वीकेंड सत्तू और आरती की शादी अटेंड कर सकते हैं। इस फिल्म को मेरी तरफ से 3 स्टार।