फिल्म समीक्षा
लंबे इंतजार के बाद शाहरुख खान और अनुष्का शर्मा की फिल्म ‘जब हैरी मेट सेजल’ बड़े पर्दे पर रिलीज हो गई। ये पहली बार है जब रोमांस के किंग शाहरुख खान और रोमांटिक फिल्मों के लिए जाने जाने वाले इम्तियाज अली ने एक साथ एक फिल्म में काम किया है। यही वजह है कि फिल्म को लेकर दर्शकों में काफी उत्साह है। आइए इस फिल्म की समीक्षा में जानते हैं कि क्या ये फिल्म दर्शकों की उम्मीदों पर खरी उतरेगी?
फिल्म के सीन में हैरी (शाहरुख खान) का दोस्त मयंक उससे कहता है, ‘भूल जा यार उसे’, इस पर हैरी कहता है, ‘भूलना जरूरी है क्या, उसे अपनी यादों में क्यों नहीं रख सकते? सेजल मेरी जिंदगी में हुई सबसे अच्छी याद है।’ यह सीन देखते वक्त लगता है कि हां हम इम्तियाज अली की फिल्म देख रहे हैं। मगर ये जादू पूरी फिल्म में नहीं दिखा, फिल्म के एक दो सीन को छोड़ दिया जाए तो फिल्म में इस बार वो प्यार, वो रोमांस, वो तड़प, वो दीवानगी नहीं दिखी जो एक अच्छी लव स्टोरी फिल्मों में हम उम्मीद करते हैं।
कहानी
ये कहानी हैरी यानी हरिंदर सिंह नेहरा (शाहरुख खान) नाम के एक टूरिस्ट गाइड की है, जो सिंगर बनने के लिए पंजाब छोड़कर कनाडा भाग जाता है, मगर वो सिंगर नहीं बन पाता और यूरोप में टूरिस्ट गाइड बन जाता है। एक ट्रिप में उसकी मुलाकात एक गुजराती लड़की सेजल (अनुष्का शर्मा) से होती है। सेजल उस ग्रुप का हिस्सा होती है जिसे एक महीने तक हैरी ने गाइड किया था। इसी ट्रिप में सेजल की इंगेजमेंट हो जाती है मगर वापसी वाले दिन उसे एहसास होता है कि उसकी इंगेजमेंट रिंग खो चुकी है। उसका पूरा परिवार गुजरात वापस लौट जाता है मगर वो अंगूठी ढूंढ़ने के लिए वहीं रुक जाती है, और हैरी से जबरदस्ती अंगूठी ढूंढ़ने में मदद लेती है। इस बीच दोनों एक दूसरे के करीब आ जाते हैं। आगे क्या होता है? क्या सेजल को उसकी अंगूठी मिलेगी? क्या सेजल अपने मंगेतर के पास लौटेगी? या फिर वो हैरी के लिए रुक जाएगी? इन सारे सवालों के जवाब आपको फिल्म देखने पर मिलेंगे।
इम्तियाज की फिल्मों की एक और खासियत होती है कि नायिका के किरदार पर ज्यादा फोकस होता है, चाहे वो ‘जब वी मेट’ हो, ‘हाइवे’ हो या फिर‘तमाशा’। इस फिल्म में भी शाहरुख खान के होते हुए भी अनुष्का शर्मा फिल्म की सेंटर ऑफ अट्रैक्शन हैं।
अभिनय
एक्टिंग की बात करें तो फिल्म में शाहरुख खान एक बार फिर से रोमांटिक अंदाज में नजर आ रहे हैं। फिल्म में वो पंजाबी युवक बने हैं और अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है। खासकर उनका बात करते करते गुस्सा होना फिर पंजाबी गालियां देना। फिल्म की एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा ने इस फिल्म में कमाल का अभिनय किया है। उन्होंने एक गुजराती लड़की के किरदार को पूरी तरह से जिया है। हालांकि कहीं-कहीं वो एसेंट छोड़ देती हैं।
म्यूजिक
फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर और फिल्म के गाने काफी अच्छे हैं और पहले से ही हिट हो चुके हैं। फिल्म में शाहरुख खान पंजाबी हैं इसलिए बैकग्राउंड लाउड रखा गया है। हालांकि फिल्म में जरूरत से ज्यादा गाने हैं और बार-बार आने की वजह से डिस्टर्ब कर रहे हैं।
खूबियां
फिल्म में अगर शाहरुख खान हों तो वो अपने आप में एक खूबी होते हैं। फिल्म के कई सीन में हमें उनका रोमांटिक अंदाज देखने को मिलेगा, खासकर एक सीन में वो सीढ़ी से उतरकर अनुष्का के पास आते हैं, वहां उन्हें देखकर सीटियां जरूर बजेगी।
फिल्म की लोकेशन और कैमरा वर्क कमाल का है। प्रॉग, बुडापेस्ट जैसी कई खूबसूरत जगहों पर फिल्म की शूटिंग हुई है और इन लोकेशन का बेहतरीन ढंग से फिल्मांकन भी किया गया है।
कमियां
‘जब हैरी मेट सेजल’ में नयापन नहीं है। फिल्म देखकर लग रहा कि इम्तियाज अब अपनी फिल्में रिपीट करने लगे हैं। फिल्म की कहानी इम्तियाज ने खुद लिखी है। फिल्म में कहीं ‘लव आज कल’ की झलक मिलती है तो कहीं ‘जब वी मेट’ की। अगर आप इम्तियाज की फिल्में फॉलो करते हैं तो आप पहले ही इस फिल्म की पूरी कहानी गेस कर लेंगे।
देखें या नहीं
अगर आप शाहरुख खान के फैन हैं तो आप ये फिल्म जरूर एन्जॉय करेंगे। लेकिन अगर आप इम्तियाज अली के फैन हैं और इस उम्मीद के साथ थियेटर में जाएंगे कि एक बेहतरीन लव स्टोरी देखने को मिलेगी तो शायद आपको निराशा हाथ लगेगी। ऐसा नहीं है कि फिल्म बहुत बुरी है, लेकिन फिल्म की कहानी में गहराई नहीं है। हां, अगर आप वीकेंड पर एक रोमांटिक फिल्म देखना चाहते हैं तो ये फिल्म देख सकते हैं, मगर दिल में बहुत सारी उम्मीदें लेकर मत जाइएगा।
स्टार रेटिंग
ओवरऑल मैं इस फिल्म को 2.5 स्टार दूंगी।
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