मेरे पास मां' है यह सन 1975 में आई फिल्म 'दीवार' का वह मशहूर संवाद है, जिसने अभिनेता शशि कपूर को रातोंरात स्टारडम दिलाया और जिसने अमिताभ बच्चन के रूप में इंडस्ट्री को उनका नया एंग्री यंग मैन भी दिया। भारतीय सिनेमा में मांओ के किरदार को भिन्न अवतारों के रूप में पेश किया जाता रहा है। कभी उन्हें निरूपा रॉय के माध्यम से अपने अंदर ही अंदर घुटती हुई एक मां के रूप में प्रस्तुत किया गया, तो कभी एक ऐसी मां के रूप में दिखाया गया, जिसे अपनी एक खुद की पहचान की तलाश रहती है, जैसे कि फिल्म इंग्लिश विंग्लिश में श्रीदेवी द्वारा निभाया गया किरदार। इस मदर्स डे को मातृत्व के हर एक रूप का जश्न मनाते हुए आइए, बड़े पर्दे के कुछ ऐसे ही किरदारों के साथ भी समय बिताते हैं, जिसने सालों से हमें काफी कुछ अनुभव कराया है।
पिन्नी
सुधा करीब साठ साल की उम्र की एक खुशहाल, मेहनती गृहिणी हैं और बराबर करेंट अफेयर्स से जुड़ी रहती हैं। इसके साथ ही वह गृहिणियों के लेकर रूढ़िवाद सोच के भी खिलाफ है। उस पर लोग तब तक ध्यान नहीं देते हैं, जब तक वह इन सबके? खिलाफ आवाज नहीं उठाती है। फिल्म हमारी जिंदगी में मां की महत्वपूर्ण भूमिका के संदेश के साथ खत्म होती है।
निल बटे सन्नाटा
यह एक विचारशील महिला चंदा की कहानी है, जिसकी ख्वाहिश अपनी बच्ची को बेहतर शिक्षा और सम्मानजनक जिंदगी देने की है और इन सबके लिए अपनी बच्ची को पढ़ाई की दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए वह खुद भी स्कूल में दाखिला ले लेती है। यह अपने बच्चे के प्रति उसकी मां के निस्वार्थ प्रेम को दशार्ता है, जो अपने बच्चे की बेहतर जिंदगी के लिए किसी भी सीमा तक जा सकती है।
इंग्लिश विंग्लिश
एक ऐसी महिला व मां की कहानी, जो अंग्रेजी भाषा बोल व समझ न पाने के चलते हमेशा सहमी हुई रहती है। बस इसी एक बात के चलते उसे उसके परिवार वाले भी उतनी अहमियत नहीं देते हैं, जितने की वह हकदार है। इसके बाद वह इस भाषा को जानने का ठान लेती है और सारी चुनौतियों का सामना कर खुद को सबके सामने साबित करती है।
मदर इंडिया
यह सभी महिलाओं को समर्पित है। मदर इंडिया दिल को मरोड़कर रख देने वाली विविध महिलाओं उर्फ मांओ की कहानी है। इसमें एक लालची साहूकार से लड़ते हुए एक मां अपने बच्चों की परवरिश के लिए हर एक संघर्ष का सामना करती है।
फार्म लाइफ
इसमें शेफ शगुन मेहता को देश के तमाम खेतों की सैर करते हुए दिखाया गया है। इसमें शगुन किसानों द्वारा फसलों को उगाने के बारे में भी काफी कुछ सीखती हैं और उन्हें दर्शकों संग साझा भी करती हैं। ऐसे में घर पर बैठे इस कार्यक्रम के माध्यम से आप अपनी मां के साथ फसलों, फलों व सब्जियों को जैविक तौर तरीके से उगाने के बारे में सीख सकते हैं और इनसे नए-नए स्वादिष्ट व पौष्टिक व्यंजनों को बनाने की कोशिश कर सकते हैं।
(इनपुट-आईएएनएस)