कलाकार: रितिक रोशन, पूजा हेगड़े
निर्देशन: आशुतोष गोवारिकर
संगीत: ए.आर. रहमान
शैली: ऐतिहासिक फिल्म
फिल्म निर्देशक आशुतोष गोवारिकर के निर्देशन में बनीं ‘मोहनजो दाड़ों’ बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हो गई है। इस फिल्म में उन्होंने 5000 साल पुरानी समयकाल की लव स्टोरी को दर्शको को दिखाने का प्रयास किया है, जिसमें वास्तविकता कम, परिकल्पना अधिक नजर आती है। निर्देशन अच्छा है लेकिन आशुतोष ऐसा लगता है खुद से हार गए हैं। ’लगान’ और ‘जोधा अकबर’ वाली बात इसमें नजर नहीं आती। रितिक रोशन का अभिनय, फिल्म में रहमान का संगीत और ‘मोहनजो दाड़ों’ काल को दिखाने के लिए फिल्म निर्देशक का रिसर्च वर्क और डायरेक्शन उम्दा है। लेकिन आशुतोष गोवारिकर के कहानी कहने का स्टाइल कुछ ऐसा है कि फिल्म कुछ लंबी हो जाती है और एक बार फिर दर्शक उनसे यही शिकायत करने वाले हैं।
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कहानी:-
पीरियड ड्रामा पसंद करने वाले दर्शकों को आशुतोष गोवारिकर से उम्मीद थी कि वह कुछ अलग और नया सिनेमा रचेंगे लेकिन इस फिल्म ऐसा कुछ नहीं है,समयकाल बेशक पांच हजार साल पुराना है लेकिन बहुत साधारण सी लव स्टोरी है, जिसमें एक तरफ इश्क है दूसरी तरफ उस इश्क को चुनौती देता एक व्यक्ति की शर्त,जरा याद करें ‘लगान’ में जब भुवन अपने गांव का लगान माफ करवाने के लिए अंग्रेजों की शर्त मानकर क्रिकेट के खेल में उनको हराने के लिए टीम बनाकर भिड़ जाता है,कुछ ऐसा ही यहां भी हैं जहां फिल्म का नायक शरमन (रितिक रोशन) जो एक किसान का बेटा है, अपने प्यार चानी (पूजा हेगड़े) को पाने के लिए महम की एक शर्त को चुनौती देता है। आशुतोष गोवारिकर ने समयकाल तो 5000 साल पुराना चुना लेकिन उनका नायक शरमन भी उसी तरह का है जैसा कि लगान का भुवन। वहां दांव पर किसानों की जिंदगी थी यहां शरमन का प्यार चानी।
अभिनय:-
रितिक रोशन लंबे समय बाद बड़े परदे पर नजर आ रहे हैं और ‘मोहनजो दाड़ों’ में उनका अभिनय शानदार है और फिल्म का सबसे बड़ा प्लस पांइट भी। नवोदित पूजा हेगड़े ने ठीक-ठाक अभिनय किया है। कबीर बेदी ने भी महम के किरदार में जान डालने का पूरा प्रयास किया है। कलाकरों से फिल्म निर्देशक आशुतोष गोवारिकर ने बेहतरीन काम लिया है जो बताता है कि आखिर वो कितने बेहतरीन निर्देशक हैं।
संगीत:-
ए. आर. रहमान ने ‘मोहनजो दाड़ों’ के लिए बेहतरीन संगीत दिया है जो आपको एक नए युग में ले जाते हैं। ‘तू हैं….चार्ट बीट में पहले ही हिट हो चुका है। रहमान का संगीत कुछ ऐसा होता है जिसका नशा धीरे धीरे चढ़ता हैं और ‘मोहनो दाड़ों’ का संगीत भी कुछ ऐसा ही है।
निर्देशन:-
फिल्म की कहानी की लंबाई,सपादन के लिए भले आप आशुतोष गोवारिकर की आलोचना करें लेकिन उनके रिसर्च वर्क, और प्री ऐतिहासिक इंडस वैली को लेकर एक तरह का नया सिनेमा दर्शको के सामने लाने का जो उन्होंने प्रयास किया है उसके लिए उनको साधुवाद दिया जा सकता है। उनकी टीम ने बेहतरीन रिसर्च वर्क किया है। एक पीरियड फिल्म बनाने की अपनी कुछ शर्ते होती है उसके साथ न्याय करने के लिए निर्देशक आशुतोष गोवारिकर ने उम्दा प्रयास किया है।
क्यों देखें:-
अगर आपको आशुतोष गोवारिकर की स्टाइल का पीरियाडिक सिनेमा पसंद आता है और दूसरी बात अगर आप रितिक रोशन के बेहतरीन अभिनय को देखना है तो आप इस फिल्म को देख सकते हैं। फिल्म प्री ऐतिहासिक एरा की सिंपल लव स्टोरी को बताती है और सबसे खास बात ए आर रहमान का संगीत आपको पसंद आएगा। फिल्म का संपदान थोड़ा कमजोर जरूर है जो कहीं कहीं आपको निराश भी कर सकता है।