साल 1960 में आयोजित रोम ओलंपिक में गर्मी के उस अविस्मरणीय दिन जब मिल्खा सिंह ट्रैक पर दौड़ने के लिए तैयार थे, तब भारत में पृथ्वीराज कपूर ने उनकी जीत के लिए ‘पूजा पाठ’ करवा रहे थे। इस घटना के 61 साल बाद इस साल मार्च में पीटीआई-भाषा को दिए गए एक साक्षात्कार में भारत के “उड़न सिख” ने कपूर परिवार के साथ अपने संबंधों को याद किया था।
सिंह एक महीने से कोविड-19 से पीड़ित थे और शुक्रवार को एक अस्पताल में उनका निधन हो गया। ओलंपिक के फाइनल में 400 मीटर की दौड़ में एक मामूली अंतर से पदक से वंचित रह गए सिंह ने बाद के कई सालों तक कपूर परिवार के साथ दोस्ती कायम रखी। उन्होंने 91 वर्ष की आयु में कहा था, “मेरा अच्छा याराना था राज कूपर के साथ। जब मैं दौड़ने के लिए बॉम्बे जाता था तो अकसर राज कपूर से मिलता था और वह मुझे आरके स्टूडियो ले जाते थे।”
मिल्खा सिंह को याद कर इमोशनल हुए फरहान अख्तर, पर्दे पर निभाया था 'फ्लाइंग सिख' का किरदार
कोविड से पीड़ित होने से चंद दिन पहले दिए गए साक्षात्कार में सिंह ने सिनेमा से जुड़ी अपनी यादें ताजा की थीं जिसमें उन्होंने इस पर भी चर्चा की थी कि खेल जगत और उससे जुड़ी हस्तियों को संघर्ष को दर्शाने वाली फिल्में बननी क्यों जरूरी हैं। उनका जन्म स्वतंत्रता से पहले पंजाब में हुआ था। विभाजन के समय सिंह के माता पिता मारे गए थे और उन्हें दिल्ली के शरणार्थी शिविर में रहने को मजबूर होना पड़ा था।
मिल्खा सिंह भारत के साथ ही बड़े होते गए और उभरते हुए राष्ट्र के साथ उन्होंने अपनी पहचान बनाई। उन्होंने बताया कि 1930 के दशक में जब वह लगभग 10 साल से भी कम उम्र के थे तब वह अन्य बच्चों के साथ मूक फिल्में देखने जाते थे। उनका पुश्तैनी गांव गोविंदपुरा आज पाकिस्तान के पंजाब में है। वैसे, सिंह ने 1960 के बाद कोई फिल्म नहीं देखी।
फरहान अख्तर के अभिनय वाली 2013 में आई “भाग मिल्खा भाग” सिंह के जीवन पर ही आधारित थी जो उन्होंने देखी। सिंह की यादों में 1940-50 की फिल्में हुआ करती थीं जिनमें उनके दोस्त राज कपूर की “आवारा” और “श्री 420” थी। सुरैया और नूरजहां के अभिनय वाली “अनमोल घड़ी” उनकी पसंदीदा फिल्मों में से थी। साक्षात्कार में उन्होंने “भाग मिल्खा भाग” के लिए अख्तर और निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा की भी तारीफ की थी।
मिल्खा सिंह की यादों में 1940-50 की फिल्में हुआ करती थीं जिनमें उनके दोस्त राज कपूर की “आवारा” और “श्री 420” थी।