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Blog: ये इश्क़ है!

प्यार किसी अपंगता...बदसूरती को नहीं मानता तो उम्र का लिहाज़ क्यूँ? क्या राजा-महाराजाओं के काल में बेमेल विवाह नहीं होते थे! अगर तब यह ठीक था तो अब भी इसे दो व्यक्तियों की स्वतंत्रता पर छोड़ देना चाहिए।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: September 18, 2018 15:01 IST
Blog: ये इश्क़ है!- India TV Hindi
Blog: ये इश्क़ है!

क्या आप बिग बॉस देखते है? अगर हाँ तो आप जानते ही होंगे की आजकल बिग बॉस सलमान खान के अलावा भजन सम्राट अनूप जलोटा और उनकी पार्टनर जसलीन मथारु के कारण सुर्ख़ियो में हैं। अनूप जलोटा की उम्र 64 साल है और जसलीन की उम्र 28 साल। एक जीवन के उत्तरार्ध में सभी रिश्तों को जी चुके है और दूसरा युवा....प्रेम के आकाश में रिश्तों की सम्भावना को ढूँढ रही होगी। कई लोग इस रिश्ते का मज़ाक उड़ा रहे हैं। कई लोग इस रिश्ते को हीन समझ रहे हैं तो कई अजीब-अजीब ताने भी दे रहे हैं।

दरअसल आप प्रेम को सिर्फ़ शारीरिक दृष्टि से देख रहे हैं इसलिए अनूप और जसलीन का प्यार आपकी समझ से परे है। शरीर सिर्फ़ आपका एक हिस्सा है, वो आपका पूरा व्यक्तित्व नहीं है। किसी को किसी का चेहरा आकर्षित करता है, किसी को शरीर, किसी को बातें...तो किसी को अन्दाज़ प्रभावित करता है। आपको क्यों लगता है की किसी अधेड़ को प्यार नहीं किया जा सकता? क्या उसकी कला आकर्षण की वजह नहीं हो सकती? संगीत में ऐसा आकर्षण है की वह मेघों को बरसने पर बाध्य कर सकता है तो मानव मन क्या चीज़ है!

क्या अनूप जलोटा का संगीत या उनका व्यक्तित्व आकर्षक या प्रेम लायक नहीं है? यह सब सवाल इसलिए है क्यूँकि इनकी जोड़ी परिहास का केंद्र बन गयी है। प्यार को सिर्फ़ एक शरीर से दूसरे शरीर की संगत मत समझिए। एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति की संगति में ख़ुशी भी प्यार है। हॉलीवुड स्टार रिचर्ड गेर और उनकी पत्नी अलजेंद्रिया के बीच 34 साल का अंतर है। रिचर्ड 69 साल की उम्र में पिता भी बनने वाले हैं। क्या इस शादी और प्यार को भी मज़ाक समझा जाएगा! नहीं! क्यूँकि वह विदेश है और यह भारत। यह किसी की भी सूरत में पक्षपात ही कहलाएगा।

प्यार किसी अपंगता...बदसूरती को नहीं मानता तो उम्र का लिहाज़ क्यूँ? क्या राजा-महाराजाओं के काल में बेमेल विवाह नहीं होते थे! अगर तब यह ठीक था तो अब भी इसे दो व्यक्तियों की स्वतंत्रता पर छोड़ देना चाहिए। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने समझाया समलैंगिकता भी प्राकृतिक हो सकती है। अमुक व्यक्ति के लिए क्या प्राकृतिक है यह कोई भी दूसरा व्यक्ति कैसे तय कर सकता है। दो बातें समझनी होगी, पहली यह की प्यार किसी परिभाषा का मोहताज नहीं और दूसरा किसी के निजी जीवन के चुनाव पर हमला और परिहास मानसिक अपरिपक्वता है।

(ब्लॉग लेखिका मीनाक्षी जोशी देश के नंबर वन चैनल इंडिया टीवी में न्यूज एंकर हैं और ये उनके विचार हैं।)

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