'केसरी' फिल्म के गानों को लिखने के बाद लाइमलाइट में आए मनोज मुंतशिर ने बॉलीवुड की फिल्मों के लिए कई गानों को लिखा, और ये गाने हिट भी हुए हैं। मगर हाल के दिनों में गीतकार पर एक कविता चुराने का आरोप लग रहा है। सोशल मीडिया पर यूजर्स ने उनकी कविता 'मुझे कॉल करना' को उनकी मूल कृति नहीं बता रहे हैं। यूजर्स ने लिखा कि मनोज की ये कविता 2007 में आई 'लव लॉस्ट: लव फाउंड' की कविता 'कॉल मी' से प्रेरित है। मनोज मुंतसिर की ये कविता साल 2018 में आई उनकी कविता संग्रह 'मेरी फितरत है मस्ताना' में छपी थी।
मनोज मुंतशिर की कविता - मुझे कॉल करना
तुम कभी उदास हो रोने का दिल करे, मुझे कॉल करना
शायद मैं तुम्हारे आंसू न रोक पाऊं पर तुम्हारे साथ रोऊंगा ज़रूर
कभी अकेलेपन से घबरा जाओ तो मुझे कॉल करना
शायद मैं तुम्हारी घबराहट न मिटा पाऊं पर अकेलापन बांटूंगा ज़रूर
कभी दुनियां बदरंग लगे तो मुझे कॉल करना
शायद मैं पूरी दुनिया में रंग न भर पाऊं
पर ये दुआ ज़रूर करूंगा कि तुम्हारी जिन्दगी खूबसूरत हो
और कभी ऐसा हो कि तुम कॉल करो
और मेरी तरफ से जवाब ना आए
तो भाग के मेरे पास आ जाना, शायद मुझे तुम्हारी ज़रूरत हो
लव लॉस्ट: लव फाउंड में छपी Call Me
If one day you feel like crying…
call me
I don’t promise that
I will make you laugh
But I can cry with you.
If one day you want to run away
Don’t be afraid to call me.
I don’t promise to ask you to stop,
But I can run with you.
If one day you don’t want to listen to anyone
call me
i promise to be there for you
but i also promise to remain quiet
But…
If one day you call
and there is no answer…
come fast to see me..
Perhaps I need you.
इन कविताओं को बारी-बारी से पढ़ें तो ये दोनों ज्यादातर पहलुओं में एक दूसरे का अनुवाद लगती हैं। सोशल मीडिया पर मनोज की इस कविता को लेकर विवाद छिड़ गया है, और कई यूजर्स ने उन पर इस कविता के मूल स्वरूप को चुराने का आरोप लगाया है। मनोज मुंतशिर ने हालांकि, शुरुआत में इस पर चुप्पी साध रखी थी लेकिन बाद में उन्होंने इस बारे में सफाई दी है।
उन्होंने ट्वीट कर लिखा, "200 पन्नों की किताब और 400 फिल्मी और गैर फिल्मी गाने मिलाकर सिर्फ 4 लाइनें ढूंढ पाए? इतना आलस? और लाइनें ढूंढो, मेरी भी और बाकी राइटर्स की भी. फिर एक साथ फुरसत में जवाब दूंगा। शुभ रात्रि!"
बता दें, मनोज की कविता संग्रह 'मेरी फितरत है मस्ताना' वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हुई है। मामले के मद्देनजर प्रकाशन की तरफ से अदिति महेश्वरी का कहना है कि उन्हें लेखक के बयाना का इंतजार करना चाहिए।