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अभिनेता मनोज कुमार को मिलेगा दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड

नई दिल्ली: पूरब और पश्चिम, उपकार और क्रांति जैसी देशभक्तिपूर्ण फिल्मों के लिए पहचाने जाने वाले मशहूर अभिनेता-निर्देशक मनोज कुमार को आज भारतीय सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ आधिकारिक सम्मान दादा साहेब फाल्के अवार्ड के लिए चुना

Bhasha
Updated : March 04, 2016 21:40 IST
manoj kumar- India TV Hindi
manoj kumar

नई दिल्ली: पूरब और पश्चिम, उपकार और क्रांति जैसी देशभक्तिपूर्ण फिल्मों के लिए पहचाने जाने वाले मशहूर अभिनेता-निर्देशक मनोज कुमार को आज भारतीय सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ आधिकारिक सम्मान दादा साहेब फाल्के अवार्ड के लिए चुना गया।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि 78 वर्षीय अभिनेता अवॉर्ड पाने वाले 47 वें व्यक्ति हैं। भारतीय सिनेमा के इस सर्वोच्च सम्मान के तहत एक स्वर्ण कमल, 10 लाख रूपये नकद राशि और एक शॉल दिया जाता है। लता मंगेशकर, आशा भोंसले, सलीम खान, नितिन मुकेश और अनूप जलोटा वाले पांच सदस्यीय चयन मंडल ने सर्वसम्मति से कुमार के नाम की सिफारिश की।

हरियाली और रास्ता, वो कौन थी, हिमालय की गोद में, दो बदन, उपकार, पत्थर के सनम, पूरब और पश्चिम, शहीद, रोटी कपड़ा और मकान तथा क्रांति जैसी फिल्मों से मनोज कुमार भारत कुमार के नाम से मशहूर हो गए। हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी उर्फ मनोज कुमार का जन्म एबटाबाद में हुआ था जो कि आजादी के पहले भारत का हिस्सा था। वह जब दस साल के थे तो उनका परिवार दिल्ली आ गया था। हिंदू कॉलेज से उन्होंने स्नातक किया और फिल्म जगत में करियर बनाने का फैसला किया।

उन्होंने कांच की गुडि़या के साथ 1960 में अपना सफर शुरू किया और हरियाली और रास्ता से पूरी तरह छा गए। मनोज कुमार ने हनीमून, अपना बनाके देखो, नकली नवाब, दो बदन, पत्थर के सनम, साजन, सावन की घटा जैसी रोमांटिक फिल्में दी। भगत सिंह के जीवन पर आधारित शहीद फिल्म के बाद देशभक्ति आधारित फिल्मों में उनका खूब नाम हुआ।

कुमार ने उपकार के साथ अपनी निर्देशकीय पारी की शुरूआत की। इस फिल्म के बारे में कहा जाता है कि यह तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के चर्चित नारे जय जवान जय किसान से प्रेरित था। पूरब और पश्चिम, रोटी कपड़ा और मकान और क्रांति सहित कई फिल्मों में वह देशभक्ति के रंग में डूबे हुए नजर आए। क्रांति में उन्हें अपने आदर्श दिलीप कुमार के साथ काम करने का मौका मिला।

क्रांति के बाद उनका करियर ग्राफ गिरने लगा। वर्ष 1995 में मैदान ए जंग में दिखने के बाद उन्होंने अभिनय को अलविदा कह दिया और अपने बेटे कुणाल गोस्वामी को लांच करने के लिए 1999 में फिल्म जय हिंद के निर्देशन की कमान संभाली लेकिन टिकट खिड़की पर यह फिल्म नहीं चल पायी। अभिनेता को उपकार के लिए राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड मिला और 1992 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री से नवाजा। अभिनेता अनुपम खेर, निर्देशक मधुर भंडारकर ने अवॉर्ड मिलने पर उन्हें मुबारकबाद दी है।

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