मनोज वाजपेयी आज अपना 50 वां बर्थडे मना रहे हैं। मनोज ने 1994 में फिल्म द्रोहकाल से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। इसके बाद मनोज ने कई सुपरहिट फिल्में दी जैसे 1998 सत्य, 2012 गैंग ऑफ वासेपुर, 2016 अलीगढ़ ये सब ऐसी फिल्में है जिसने हिंदी सिनेमा का रुप ही बदल दिया। हाल ही में मनोज वाजपेयी को 'पद्म श्री' से नवाजा गया है। मनोज से एक इंटरव्यू के दौरान उनके फिल्मी सफर के पूछा गया तो उन्होंने खुलकर इस बात की साथ ही उन्होंने बताया कि कैसे बिहार के एक छोटे से गांव से मुंबई महानगरी तक वह पहुंचे।
मनोज बाजपेयी भारतीय हिन्दी फ़िल्म उद्योग बॉलीवुड के एक जाने माने अभिनेता हैं। मनोज को प्रयोगकर्मी अभिनेता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपना फ़िल्मी कैरियर में शेखर कपूर निर्देशित अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फ़िल्म बैंडिट क्वीन से शुरु किया। बॉलीवुड में उनकी पहचान राम गोपाल वर्मा निर्देशित फ़िल्म सत्या से बनी। इस फ़िल्म ने मनोज को उस दौर के अभिनेताओं के समकक्ष ला खङा किया। इस फ़िल्म के लिये उन्हें सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।
बिहार के एक छोटे से गांव से दिल्ली आए मनोज बाजपेयी ने कई साल लगातार रंगमंच पर सक्रिय रहने के साथ टीवी सीरियलों में भी काम किया है। हंसल मेहता के निर्देशन में बने धारावाहिक कलाकार के अलावा वह महेश भट्ट के निर्देशन में बने धारावाहिक स्वाभिमान (1995) में सशक्त भूमिका निभा चुके हैं।
इस बीच साल 1994 में मनोज ने गोविंद निहलानी की फिल्म द्रोहकाल में एक मिनट के सीन के साथ बॉलीवुड में क़दम रखा। इसी साल वह फिल्म बैंडिट क्वीन में डाकू मान सिंह के छोटे से रोल में नज़र आए। इसके बाद आई राम गोपाल वर्मा की फिल्म सत्या के भीकू म्हात्रे के किरदार ने उन्हें बॉलीवुड में एक मुकाम दे दिया। उनका सफ़र जारी है।
मनोज बाजपेयी ने अपना कैरियर दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक स्वाभिमान के साथ शुरु किया। इसी धारावाहिक से आशुतोष राणा और रोहित रॉय को भी पहचान मिली। बैंडिट क्वीन की कास्टिंग के दौरान तिग्मांशु धूलिया ने मनोज को पहली बार शेखर कपूर से मिलवाया था। इस फ़िल्म मे मनोज ने डाकू मान सिंह का चरित्र निभाया था। 1994 मे आयी फ़िल्म द्रोहकाल और 1996 मे आयी दस्तक फ़िल्म मे भी मनोज ने छोटे किरदार निभाये। 1998 मे मनोज ने महेश भट्ट निर्देशित तमन्ना फ़िल्म की।
इसी साल राम गोपाल वर्मा निर्देशित और संजय दत्त अभिनीत फ़िल्म दौड़ मे भी मनोज दिखे। 1998 मे राम गोपाल वर्मा की फ़िल्म सत्या के बाद मनोज ने कभी वापस मुड़ कर नहीं देखा। इस फ़िल्म मे उनके द्वारा निभाये गये भीखू म्हात्रे के किरदार के लिये उन्हे कई पुरस्कार मिले जिसमे सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार और फ़िल्मफेयर का सर्वोत्तम अभिनेता पुरस्कार (समीक्षक) मुख्य हैं। 1999 मे आयी फ़िल्म शूल मे उनके किरदार समर प्रताप सिंह के लिये उन्हे फ़िल्मफेयर का सर्वोत्तम अभिनेता पुरस्कार मिला। अमृता प्रीतम के मशहूर उपन्यास 'पिंजर' पर आधारित फ़िल्म पिंजर के लिये उन्हे एक बार फिर राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
2010 मे आयी प्रकाश झा निर्देशित फ़िल्म राजनीति मे उनके द्वारा निभाये वीरेन्द्र प्रताप उर्फ वीरू भैया ने अभिनय की एक नयी परिभाषा गढ दी। यह किरदार महाभारत के पात्र दुर्योधन से काफी मिलता-जुलता है। इस फ़िल्म के प्रीमियर शो बाद कैटरीना कैफ अपनी सीट से उठीं और उन्होंने मनोज बाजपेयी के पैर छू लिये। कैटरीना ने कहा उन्होंने ऐसी एक्टिंग पहले कहीं नहीं देखी जैसी मनोज ने फ़िल्म में की हैं। 2012 में आयी फ़िल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर- पार्ट 1 मे मनोज सरदार खान के किरदार में दिखे। इस फ़िल्म को और मनोज के किरदार को समीक्षकों की तरफ से खासी सराहना मिली।