नई दिल्ली: जब भी किसी को अपनी सास की बुराई करने होती है तो लोग यही कहते हैं कि मेरी सास बिल्कुल ललिता पवार है। आज हम आपको उसी एक्ट्रेस के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें क्रूर सास के रूप में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में पहचान मिली। उन्होंने कुछ सॉफ्ट रोल भी किए हैं, लेकिन वो बॉलीवुड की मशहूर वैम्प में से एक हैं। दरअसल फिल्म की शूटिंग के एक हादसे के दौरान उनकी एक आंख खराब हो गई था।
दरअसल ललिता पवार लीड एक्ट्रेस बनना चाहती थीं, लेकिन साल 1942 में आई फिल्म 'जंग-ए-आजादी' के सेट पर एक सीन की शूटिंग के दौरान वो एक हादसे का शिकार हो गई। अस्सी के दशक के प्रसिद्ध अभिनेता भगवान दादा को इस सीन में अभिनेत्री ललिता पवार को एक थप्पड़ मारना था। उन्होंने इतनी जोर का थप्पड़ मारा की ललिता पवार गिर पड़ीं, और उनके कान से खून निकलने लगा। इसके बाद उन्हें डॉक्टर ने गलत दवाएं दे दी, जिसकी वजह से उनके दाहिने अंग में लकवा मार गया। लकवा तो वक्त के साथ ठीक हो गया लेकिन उनकी दाहिनी आंख पूरी तरह सिकुड़ गई और हमेशा के लिए उनका चेहरा खराब हो गया।
इतना सब होने के बावजूद ललिता पवार ने हार नहीं मानी। उन्होंने एक नई शुरुआत की। वो हीरोइन तो नहीं बन पाईं लेकिन उन्होंने निगेटिव रोल करने शुरू कर दिए। इसके बाद उन्होंने कई क्रूर सास के रोल निभाएं और अपनी एक अलग पहचान बना ली।
ललिता पवार अच्छी सिंगर भी थीं। साल 1935 में उन्होंने फिल्म ‘हिम्मते मर्दां’ में ‘नील आभा में प्यारा गुलाब रहे, मेरे दिल में प्यारा गुलाब रहे’ गाना गया, जो काफी लोकप्रिय हुआ था।
इसके बाद ललिता पवार रामानंद सागर की रामायण में मंथरा के रोल में नजर आईं।
18 अप्रैल 1916 को जन्मीं ललिता को जबड़े का कैंसर हो गया था, अपने इलाज के लिए वो पुणे गईं। कैंसर की वजह से न सिर्फ उनका वजन काफी घट गया था बल्कि वो अपनी याद्दाश्त भी खोने लगी थीं। 24 फरवरी 1998 को 82 साल की उम्र में ललिता पवार चल बसीं।