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मधुबाला के लिए किशोर कुमार ने अपनाया था इस्लामिक धर्म, बने थे 'करीम अब्दुल'

बॉलीवुड को 'मेरे महबूब कयामत होगी', 'मेरे सामने वाली खिड़की में', 'मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू' जैसे लोकप्रिय गाने देने वाले मशहूर पार्श्र्वगायक किशोर कुमार हिंदी फिल्म-जगत के एक ऐसे धरोहर हैं, जिसे बनाने-संवारने में कुदरत को भी सदियां लग जाते हैं।

India TV Entertainment Desk
Updated on: August 04, 2016 14:41 IST

kishore

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किशोर कुमार ने वर्ष 1987 में फैसला किया कि वह फिल्मों से सन्यास लेने के बाद, अपने गांव खंडवा लौट जाएंगे। वह कहा करते थे, 'दूध जलेबी खाएंगे खंडवा में बस जाएंगे'। लेकिन उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका। 18 अक्टूबर, 1987 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। उन्हें उनकी मातृभूमि खंडवा में ही दफनाया गया, जहां उनका मन बसता था। वह भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी खूबसूरत आवाज मधुर गीतों के रूप में आज भी लोगों के मन-मस्तिष्क में झंकृत हो रही है।

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