नई दिल्ली: बॉलीवुड में सूफी गानों और दमदार अवाज़ से अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले कैलाश खेर आज अपना 43वां जन्मदिन मना रहे हैं। अगर उनके म्यूजिक के बारे में बात करें तो, कैलाश ने कई सुपरहिट गाने इस इंडस्ट्री को भेंट के रुप में दिए है। भारतीय लोक संगीत और सूफी गानों के साथ-साथ कैलाश ने अन्य कई भाषाओं में भी गाने गाए हैं। जिनमें हिंदी सहित नेपाली, तमिल, तेलुगू, मलयालम, बंगाली, उर्दू, कन्नड़ और उड़िया जैसी भाषाएं शामिल हैं। हालांकि भारतीय संगीत में उनका योगदान इन सभी अन्य भाषाओं के गानों के मुकाबले काफी ज़्यादा है।
कई भाषाओं को बखूबी जानने वाले कैलाश खेर वैसे तो उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं, उनका जन्म यूपी में स्थित मेरठ के एक गांव के कश्मीरी पंडित परिवार में हुआ। यह कहा जा सकता है कि कैलाश में संगीत का जूनून अपने पिता से ही आया था। उनके पिता मेहर चंद खेर भी एक संगीतकार थे। जो कि परंपरागत लोकसंगीत गाया करते थे। (शशि कपूर ने 43 साल पहले ही अपनी फिल्म में कर दी थी GST की भविष्यवाणी)
14 वर्ष की उम्र में छोड़ दिया था घर
कैलाश को बचपन से ही गाने का काफी शोक था, केवल 4 साल की छोटी उम्र में ही उन्होंने अपनी आवाज के दम परिवार और दोस्तों का दिल जीत लिया था। आगे चलकर कैलाश ने अपने संगीत प्रेम के कारण ही महज़ 14 वर्ष की उम्र में अपना घर छोड़ने का फैसला लिया था। इसे लेकर कैलाश का कहना है कि, "मैनें इसलिए घर छोड़ने का फैसला लिया क्योंकि 'मैं संगीत के प्रति अपना पैशन आगे बढ़ाना चाहता था, जिसके लिए मेरा एकांत में रहना ज़रुरी था।' (‘MOM’ Quick Review: श्रीदेवी की दमदार एक्टिंग और इमोशन्स से भरपूर है फिल्म)
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