फिल्म 'वैसा भी होता है पार्ट 2' के गीत 'अल्लाह के बंदे' से सुर्खियों में आए मशहूर गायक कैलाश खेर जल्द ही मुंबई के वर्सोवा में कैलाश खेर एकेडमी ऑफ लर्निग आर्ट्स (केकेएएलए या कला) की शुरुआत करने वाले हैं।
इस पर बात करते हुए कैलाश खेर ने कहा, "इसे कला धाम कहा जाएगा। एक ऐसी जगह जो महत्वाकांक्षी और स्थापित संगीतकारों, विद्वानों और शोधकर्ताओं के लिए अनुकूल होगी, ठीक जिस तरह से थिएटर के लोगों के लिए पृथ्वी है जो किताबों और चर्चाओं के लिए एक कैफे की तरह है, उसी तरह से कला धाम एक ऐसी जगह होगी जिसमें हर वह शख्स आ सकता है जो संगीत को लेकर जुनूनी हो।"
इस सेंटर को इस साल 7 जुलाई को लॉन्च किया जाना था, लेकिन लॉकडाउन के चलते ऐसा हो नहीं पाया। सेंटर में परफॉमिर्ंग आर्ट्स और म्यूजिक में प्रशिक्षण प्रदान की जाएगी और साथ ही 50 से 100 के बीच लोगों की बैठने की क्षमता वाले एक डांस स्टूडियो और अंतरंग सभागार भी शामिल होगा जहां हर हफ्ते टिकट के साथ परफॉर्मेस आयोजित की जाएंगी।
कैलाश कहते हैं, "हम उच्च योग्यता वाले ऐसे शिक्षकों, इंडस्ट्री के दिग्गजों और नए जमाने के संगीतकारों से लैस एक स्थान का निर्माण करना चाहते हैं, जिन्होंने अपने नियम खुद बनाए हैं।"
इस हफ्ते एक ही दिन में पांच गीतों को कम्पोज करने वाले इस म्यूजीशियन ने कहा, "संस्कृत में गाना मेरे लिए दिमाग को एकाग्रचित्त करने वाला एक बढ़िया अभ्यास रहा। मैं भगवान शिव पर दो गानों का निर्माण करूंगा और उन्हें इस सावन लॉन्च करूंगा।"
अपने 15 साल लंबे करियर में दुनिया भर में 1,200 कॉन्सर्ट में परफॉर्म कर चुके और फिल्मों व एल्बम्स के लिए 1,500 गाने गा चुके कैलाश इस बात को लेकर बेहद आशावादी हैं कि महामारी के एक बार खत्म हो जाने के बाद लाइव परफॉर्मेस दोगुने जोश व उत्साह के साथ अपनी वापसी करेगी।
वह कहते हैं, "इस संसार ने बुरी से बुरी त्रासदियां देखी हैं। क्या हम विश्व युद्धों के बारे में भूल गए हैं? यहां आशावादी बने रहना ही कुंजी है। कला से आत्मा को हमेशा सुकून पहुंचा है और हमारी जिंदगी में इसका स्थान अपरिहार्य है। आज के ऐसे वक्त में भी क्या हम बड़े पैमाने पर मशहूर हुए ऑनलाइन कॉन्सर्ट नहीं कर रहे हैं?"
जुलाई 18 को एचसीएल साउंडस्केप्स का हिस्सा बने कैलाश को लगता है कि ऐसे समय में कलाकारों को अपना समर्थन देने के लिए और भी अधिक कापोर्रेट्स को आगे आने की आवश्यकता है। वह कहते हैं, "अधिक मुनाफा कमाने वाली कंपनियों को अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को समझने की आवश्यकता है। यह एक ऐसा वक्त है जिसमें लोगों का विकास सोशल मीडिया का इस्तेमाल यर्थाथपूर्ण ढंग से करने की दिशा में होना चाहिए। मैं निश्चित हूं कि हमारे उस संगीत के लिए श्रोता हमारी प्रतीक्षा करेंगे जिसे उसमें निहित वास्तविक विचारों के चलते प्यार दिया गया है। कभी-कभार उनसे बात करने के लिए हमें एक शब्द भी नहीं कहना पड़ा।"