जहां साल 2018 में एक तरफ दुनियाभर के लोग 31 दिसंबर की शाम को नए साल के आगमन की तैयारियां जोरों-शोरों से कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बॉलीवुड जगत से एक ऐसी खबर आईं कि हर कोई स्तब्ध रह गया। हरफनमौला कलाकार कादर खान 31 दिसंबर 2018 को शाम 6 बजे इस दुनिया को अलविदा कह गए थे। वह काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। कादर खान जैसे कलाकार के जाने से ऐसा लगा मानो कोई एक दशक पूरा कही खो चुका हो। बॉलीवुड इंडस्ट्री के एकलौते ऐसे स्टार थे जोकि आलराउंडर माने जाते थे। वह कैमरा ही नहीं बल्कि एक अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने कई फिल्मों के फेमस डायलॉग्स भी लिखें। जिन्हें लोग आज भी सुनना पसंद करते है।
लगभग 300 से अधिक फिल्मों में काम करने वाले कादर खान की अपने एक्टिंग से लोगों के दिलों में राज़ करे थे। उनकी फिल्मों के कई ऐसे डायलॉग्स है जिन्हें लोग आज भी दोहराते है। पढ़ें ऐसे ही उनके कुछ फेमस डॉयलॉग्स।
फिल्म 'मुकद्दर का सिकंदर' का ये डायलॉग्स काफी फेमस हुआ था- सुख तो बेवफा है आता है जाता है, दुख ही अपना साथी है, अपने साथ रहता है। दुख को अपना ले तब तक़दीर तेरे कदमों में होगी और तू मुकद्दर का बादशाह होगा।
फिल्म 'नसीब' का डायलॉग अरे औरों के लिए गुनाह सही, हम पियें तो शबाब बनती है। अरे सौ गमों को निचाड़ने के बाद एक कतरा शराब बनती है।
फिल्म 'जैसी करनी वैसी भरनी' का डायलॉग तुम्हारी उम्र मेरे तर्जुबे से बहुत कम है, तुमने उतनी दीवालियां नहीं देखीं जितनी मैंने तुम जैसे बिकने वालों की बर्बादियां देखी हैं
बेहतरीन फिल्म 'हिम्मतवाला का डायलॉग सरकार अगर इस गांव के सर हैं, तो मैं उस सर का सींग हूं। और जो हमारी बात नहीं मानता मैं उसे सींग मार कर सिंगापुर बना देता हूं' काफी फेमस हुआ था।
अमिताभ बच्चन की फिल्म 'कुली' में कादर खान के इस डायलॉग्स ने समां बांध दी थी। डायलॉग था- बचपन से सर पर अल्लाह का हाथ और अल्लाहरख्खा है अपने साथ, बाजू पर 786 का है बिल्ला, 20 नंबर की बीड़ी पीता हूं और नाम है 'इकबाल'।
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फिल्म 'हम' का डायलॉग कहते हैं किसी आदमी की सीरत अगर जाननी हो तो उसकी सूरत नहीं उसके पैरों की तरफ देखना चाहिए, उसके कपड़ों को नहीं उसके जूतों की तरफ देख लेना चाहिए।
बाप नंबरी बेटा दस नंबरी का डायलॉग तुम्हें बख्शीश कहां से दूं। मेरी गरीबी का तो यह हाल है कि किसी फकीर की अर्थी को भी कंधा दूं तो अपनी इंसल्ट मानकर अर्थी से कूद जाता है।
फिल्म 'शहंशाह' का डायलॉग दुनिया की कोई जगह इतनी दूर नहीं है, जहां जुर्म के पांव में कानून अपनी फौलादी जंजीरें पहना ना सके।