'सीता और गीता', 'दीवार', 'जंजीर' और 'शोले' जैसी फिल्मों की कहानी, स्क्रिप्ट और डायलॉग्स के लिए मशहूर जावेद अख्तर आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं। 'निगल गए सब के सब समंदर, जिदंगी बची अब कहीं नहीं है, बचाते हम अपनी जान जिसमें, वो कश्ती भी अब कहीं नहीं है...' जैसी पंक्तियां लिखने वाले जावेद जाने-माने कवि और हिंदी फिल्मों के गीतकार भी हैं। उनका जन्म 17 जनवरी 1945 को हुआ था। उनकी शब्दों की जादूगरी की दुनिया दीवानी है। उन्हें पद्म भूषण, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। उनके बर्थडे पर हम आपको उनकी कुछ फेमस नज़्मों से रूबरू करा रहे हैं।
जावेद अख्तर के पिता ने बचपन में उनका नाम जादू रखा था, लेकिन जब वो बड़े हुए तो उन्हें खुद उनका नाम अजीब लगने लगा। ऐसे में बाद में उनका नाम बदलकर जावेद रखा गया। जावेद के पिता भी बहुत बड़े शायर थे। जावेद की पढ़ाई लखनऊ और अलीगढ़ में हुई। वो कॉलेज के दिनों से ही शब्दों की जादूगरी बिखेरने में सक्षम थे।
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60 के दशक में आर्थिक स्थिति सही नहीं होने पर जावेद मुंबई पहुंच गए। इंडस्ट्री में कई दिनों तक संघर्ष किया। फिर 'सरहदी लुटेरे' के सेट पर उनकी सलीम खान से दोस्ती हुई और फिर दोनों ने जो कर दिखाया, वो आज सभी के सामने है।
जावेद और सलीम की जोड़ी सुपरहिट साबित हुई। उन्होंने 'हाथी मेरे साथी', 'अंदाज', 'सीता और गीता', 'शोले' और 'डॉन' जैसी फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखी। हालांकि, कुछ सालों बाद दोनों अलग हो गए।
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जावेद साहेब ने अमिताभ बच्चन की फिल्म 'सिलसिला' में गाने लिखे, जो खूब हिट हुए। इसके बाद उन्होंने लिरिक्स लिखने का भी फैसला किया।
निजी जीवन की बात करें तो जावेद ने हनी ईरानी से शादी की, जिनसे दो बच्चे हुए फरहान अख्तर और जोया अख्तर। कुछ सालों बाद उनका रिश्ता टूट गया और जावेद ने शबाना आजमी से शादी कर ली।