महिला दिवस का मौका है और महिलाओं की ताकत और सक्षमता की बात करें तो आज सैंकड़ों उदाहरण हैं जब औरतों ने अपनी मेहनत और लगन से बराबरी ही नहीं पुरुषों से दो कदम आगे जाने की मिसाल पैदा की है। बॉलीवुड में समय समय पर ऐसी फिल्में आती रही हैं जो समाज को महिलाओं की हिम्मत और होंसले की कहानी बताती हैं। इस महिला दिवस पर इन्हीं फिल्मों की बात करते हैं। ये फिल्में सभी को देखनी चाहिए और ध्यान रखना चाहिए कि औरत अबला नहीं है, उसकी सोच, हिम्मत और लगन को सलाम करने की जरूरत है न कि जज करने की या नजरंदाज करने की।
ऐसी ही कुछ फिल्मों की यहां लिस्ट है, जिन्हें जरूर देखना चाहिए क्योंकि ये औरतों की हिम्मत और उनके हौंसले को दिखाती हैं।
महिला दिवस: #eachforequal की मुहिम में इंडिया टीवी के साथ जुड़िए
पिंक
ना मतलब ना। औरत अपनी जिंदगी में क्या करती है, क्या पहनती है और कैसे सरवाइव करती है, इससे उसे जज मत कीजिए। उसकी रजामंदी औऱ उसके इनकार का सम्मान कीजिए। तापसी पन्नू और अमिताभ बच्चन की मुख्य भूमिकाओं वाली इस फिल्म ने समाज को यही संदेश दिया है।
लज्जा
औरतें अलग अलग हैं तो लकड़ियों की तरह अकेली हैं, मिल जाए तो मजबूत हो जाती है। अलग अलग दायरों में बंधी औरतों के जीवन को दिखाती फिल्म लज्जा कई मामलों में काफी संवेदनशील है। औऱतों की मजबूरी, उनकी जिजीविषा कैसे उनकी ताकत बन जाती है, यही इस फिल्म में दिखाया गया है। माधुरी दीक्षित, रेखा और मनीषा कोईराला जैसी सशक्त हीरोइनों ने इस फिल्म में जान डाल दी थी।
थप्पड़
घरेलू हिंसा के मसले पर बनी ये फिल्म हाल ही में रिलीज हुई है लेकिन काफी तारीफ पा रही हैं। घरेलू हिंसा जैसे मार पिटाई, थप्पड़ को मामूली बात कहने वाले समाज को आइना दिखाती इस फिल्म में तापसी पन्नू ने लीड रोल निभाया है।
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मिर्च मसाला
औरतों को मनोरंजन का सामान समझने वाले ताकतवर लोगों को भी उनकी हिम्मत के आगे झुकना पड़ता है। एब्यूज की घटनाओं से निपटने के एक सशक्त मैसेज को दिखाती है ये फिल्म। कुछ पुरानी है लेकिन आपको यूट्यूब पर मिल जाएगी। फिल्म में शबाना आजमी औऱ नसीरुद्दीन शाह ने कमाल का अभिनय किया है।
छपाक
एक दौर में भारत में एसिड अटैक के मामलों की बाढ़ सी आ गई थी। महज इनकार के बदले औरतों की जिंदगी खराब करने वाले इस गुनाह पर बनी छपाक एक एसिड अटैक सरवाइवर के जीवन पर बनी है। इसमें उसके हौंसले की कहानी है, इसमें दीपिका पादुकोण ने कमाल का अभिनय किया है।
क्या कहना
बिन ब्याही मां को समाज में किस नजर से देखा जाता है, ये सब जानते हैं। खासकर भारतीय समाज में कोई लड़की अगर बिना शादी के मां बन जाए तो उसे क्या झेलना पड़ता है और नायिका ने किस हौंसले के जरिए अपने फैसले पर टिकने के बाद अपने बच्चे को जन्म दिया। ये देखने लायक है।
पंगा
महिला खिलाड़ियों के जीवन पर बनी पंगा में कंगना रनौत ने लीड रोल किया है। शादी के बाद औरत को चुका हुआ मान लिया जाता है। वो केवल घर और बच्चे संभालने के फेर में अपनी जिंदगी, अपने सपने भूल जाती है। कैसे एक खिलाड़ी बच्चा होने के बावजूद वापस अपनी जिंदगी में खेल के सपने को पूरा करती है, ये फिल्म वही दिखाती है।
पार्च्ड
2016 में आई पार्च्ड कई मामलों को एक साथ उठाती है। मैरिटल रेप, बाल विवाह, दहेज प्रथा और अब्यूज जैसे मुद्दों को बड़े ही सटीक तरीके से डील किया गया है। इस फिल्म में चार नायिकाओं के जरिए पूर भारतीय समाज की औरतों का प्रतिनिधित्व किया गया है। इसे जरूर देखा जाना चाहिए।
लिप्स्टिक अंडर माई बुर्का
समाज में मर्दों ने बिना कहे औऱतों के लिए कुछ अघोषित नियम बना दिए है। क्यों बने हैं ये नियम, कितने जायज हैं औऱ औरतों का पक्ष क्या है। लिपस्टिक अंडर माई बुर्का औरतों की हसरतों, इच्छाओं और अपने तरीके से जिंदगी जीने की जद्दोजहद को दिखाती है।