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वक्त से पहले संजय दत्त को दी गई रिहाई पर HC ने मांगा जवाब

संजय दत्त को बीते वर्ष 25 फरवरी को जेल से रिहा कर दिया गया था। लेकिन अब लगता है कि उनकी मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ने वाली हैं। दरअसल हाल ही में संजय दत्त की रिहाई को लेकर सवाल उठाए गए हैं। बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार से कहा कि..

India TV Entertainment Desk
Published : July 04, 2017 7:11 IST
sanjay dutt
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मुंबई: बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त को बीते वर्ष 25 फरवरी को जेल से रिहा कर दिया गया था। लेकिन अब लगता है कि उनकी मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ने वाली हैं। दरअसल हाल ही में संजय दत्त की रिहाई को लेकर सवाल उठाए गए हैं। बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार से कहा कि वह संजय दत्त को अच्छे आचरण के आधार पर सजा पूरी होने से पहले रिहा करने के अपने फैसले को न्यायोचित ठहराने के संबंध में दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करे। अतिरिक्त लोक अभियोजक प्रजाक्ता शिंदे ने न्यायालय से यह भी कहा कि सरकार ने अपने महाधिवक्ता आशुतोष कुंभाकोनी को मामले में दलील रखने के लिए वकील नियुक्त करने का फैसला किया है। उन्होंने दो सप्ताह के वक्त की मांग की, जिसकी मंजूरी दे दी गई और मामले की सुनवाई एक पखवाड़े तक के लिए टाल दी गई।

न्यायाधीश आर. एम. सावंत और न्यायाधीश साधना जाधव की खंडपीठ ने यह आदेश पुणे के सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप भालेकर की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दी, जिसमें उन्होंने सजा भुगतने के दौरान संजय दत्त को कई बार मिले फरलो और पेरोल को चुनौती दी है। उच्च न्यायालय ने 12 जून को महाराष्ट्र सरकार को अपने फैसले को न्यायोचित ठहराने, अभिनेता को 8 महीने पहले जेल से रिहा करने के लिए विचार में लाए गए मानदंडों और उनके प्रति उदारता दिखाने के लिए अपनाई गई प्रक्रियाओं के संबंध में एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।

गौरतलब है कि संजय दत्त को मुंबई में मार्च 1993 में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले से जुड़े हथियार रखने के दोष में मुंबई की टाडा अदालत ने 6 साल जेल की सजा और 25,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। संजय दत्त ने अपनी पूरी सजा पुणे के यरवदा जेल में भुगती और उन्हें 25 फरवरी, 2016 को रिहा कर दिया गया। मुंबई में 1993 में हुए श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों में 257 लोगों की जान गई थी। बिपाश बसु ने कहा युवाओं को इस बात का अहसास दिलाना जरूरी

पिछली सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह जानना चाहा था कि क्या उप महानिरीक्षक (कारागार) से परामर्श लिया गया या जेल अधीक्षक ने सिफारिश को सीधे महाराष्ट्र सरकार के पास भेज दिया। न्यायाधीश सावंत ने पूछा, "अधिकारी यह आकलन कैसे कर सकते हैं कि दत्त का आचरण बढ़िया था। उन्हें यह आकलन करने का मौका कब मिला, जबकि आधे समय दत्त पेरोल पर जेल से बाहर ही रहे?"

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