भारतीय फिल्म जगर के दिग्गज संगीतकार नौशाद अली का जन्म 26 दिसंबर 1919 को हुआ था। उन्होंने 67 फिल्मों में संगीत दिया था जिसकी वजह से उन्हें आज भी याद किया जाता है। उनका फिल्म 'पाकीजा' में दिया संगीत उन्हें अमर बना गया। उनका दिया संगीत सभी का दिल जीत लेता है। उन्होंने लता मंगेश्कर और मोहम्मद रफी जैसे गायक भी इस इंडस्ट्री को दिए हैं। उन्होंने अपने संगीत के सफर की शुरुआत 1940 में की थी और यह सफर 2006 तक चला।
नौशाद ने पहली बार 1940 में फिल्म 'प्रेम नगर' के गाने कंपोज किए थे। जिसके बाद उनके गानों को काफी पसंद किया गया था।
फिल्म 'पाकीजा' के संगीत को बेहतरनी बनाने का श्रेय नौशाद अली को ही दिया जाता है। गुलाम मोहम्मद साहब के निधन के बाद नौशाद ने ही उस संगीत को पूरा किया था। उस समय बचे हुए संगीत में नौशाद ने लोकसंगीत का इस्तेमाल किया था। यह लोकसंगीत आपको फिल्म में बैकग्राउंड म्यूजिक के तौर पर सुनने को मिलता है।
हिंदी सिनेमा की बेस्ट फिल्म 'मुगल-ए-आजम' का संगीत भी नौशाद ने दिया था। नौशाद साहब इस फिल्म में गुलाम अली साहब की आवाज चाहते थे लेकिन उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि वह फिल्मों के लिए गाना नहीं गाते हैं। उस समय में गुलाम अली साहब को गाने के लिए 25000 रुपए दिए गए थे। उस समय में रफी और लता मंगेश्कर जैसे गायकों को 300-400 रुपए दिए जाते थे।
नौशाद अली साहब को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था। नौशाद साहब की मृत्यु 2006 में हुई थी। उन्होंने 2005 में फिल्म 'ताजमहल: एन एटरलन लव स्टोरी' के लिए गाने कंपोज किए थे।
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