नई दिल्ली: आज के दिन कंगना रनौत की मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी और नवाजुद्दीन सिद्दिकी की ठाकरे के साथ सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। ये दोनों फिल्म में एक चीज जो सबसे खास है वह यह है कि दोनों बॉयोपिक है। और दोनों हिंदी पेरियोडिक इतिहास पर बनी फिल्म है। बता दें कि ''खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी'' सुभद्रा कुमारी चौहान की रानी लक्ष्मी बाई पर लिखी ये कविता बचपन में हमने और आपने खूब पढ़ी और सुनी हैं, कंगना रनौत डेब्यू डायरेक्टर के तौर पर झांसी की रानी लक्ष्मी बाई पर आधारित फिल्म 'मणिकर्णिका' लेकर आई हैं। निर्देशक कृष के बीच में फिल्म छोड़ देने के बाद कंगना रनौत ने फिल्म को रीशूट किया हमारे सामने लेकर आई हैं, कंगना ने क्या एक निर्देशक के तौर पर इस फिल्म के साथ न्याय किया है और क्या यह फिल्म रानी लक्ष्मी बाई के साथ न्याय करती है यह सब हम आपको इस रिव्यू में बताने वाले हैं।
इस फिल्म की कहानी विजयेंद्र प्रसाद ने लिखी है, वो साउथ से हैं शायद इसलिए उत्तर भारत की उन्हें उत्तर भारत के कल्चर की ज्यादा जानकारी नहीं है यही वजह है कि फिल्म में काशी, झांसी और ग्वालियर की जो झलक दिखती है उसमें कहीं भी वहां की खुश्बू नहीं है, ना वो रंग ना वो संगीत और ना ही वो बोली। इसमें कोई शक नहीं कि फिल्म को बहुत भव्य बनाया गया है, कंगना जब-जब भी स्क्रीन पर आती हैं रौनक आ जाती है, लेकिन कंगना की पतली आवाज और उनका दुबला-पतला शरीर और गोरा रंग देखकर आपका मन उन्हें झांसी की रानी लक्ष्मी बाई मानने से इनकार कर देगा।
फिल्मकार रोहित शेट्टी ने नवाजुद्दीन सिद्दीकी की नई फिल्म 'ठाकरे' देखने के बाद उनकी भरपूर सराहना की है। फिल्म में अभिनेता दिवंगत नेता बाला साहेब ठाकरे के किरदार में हैं। रोहित ने यहां बुधवार को फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग के दौरान मीडिया से बात की। इस मौके पर उन्होंने कहा, "नवाज एक बेहतरीन अभिनेता हैं और मुझे लगता है कि उनकी हर फिल्म की रिलीज के बाद हर कोई यही कहता है।" उन्होंने कहा, "कुछ ऐसे दृश्य हैं, जिनमें युवा बालासाहेब की जिंदगी को दिखाया है और उन दृश्यों में वह बिल्कुल दिवंगत शिवसेना सुप्रीमो की तरह नजर आ रहे हैं।"
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