फिल्म समीक्षा- सुशांत सिंह राजपूत और कृति सेनन की ‘राब्ता’ दो ऐसे प्रेमियों की कहानी है जो पिछले जन्म में बिछड़ जाते हैं, लेकिन अगले जन्म में फिर से उनकी मुलाकात होती है। राब्ता का मतलब होता है रब का बनाया रिश्ता। ये कहानी भी दो ऐसे प्रेमियों की है जिनका पिछले जन्म का राब्ता होता है। कैसी है फिल्म, क्या है फिल्म में खास? ये जानने के लिए आइए इस फिल्म की समीक्षा करते हैं।
फिल्म की कहानी शिव (सुशांत सिंह राजपूत) नाम के एक लड़के की है, जो बैंकर है और नौकरी के लिए अमृतसर से बुडापेस्ट जाता है। वहीं उसकी मुलाकात सायरा (कृति सेनन) नाम की एक लड़की से होती है जो चॉकलेट बनाती है। दोनों पहली बार सायरा की चॉकलेट शॉप में ही मिलते हैं। पहली ही मुलाकात में दोनों एक-दूसरे से अट्रैक्ट हो जाते हैं और दो ही दिन में दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो जाता है। कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब बुडापेस्ट के बड़े बिजनेसमैन जाकिर मर्चेंट (जिम सरभ) की एंट्री होती है। जाकिर की एंट्री से पता चलता है कि ये कहानी अभी नहीं शुरू हुई है, बल्कि तीनों का कनेक्शन पिछले जन्म का है।
इंटरवल के पहले तक फिल्म अच्छी लगती है, लेकिन फिल्म जैसे ही फिल्म पुनर्जन्म में जाती है, बोरिंग लगने लगती है। पुनर्जन्म की कहानी से आप खुद को कुछ खास कनेक्ट नहीं कर पाएंगे, उनकी प्रेम कहानी आपको इमोशनल नहीं करेगी।
अब 'राब्ता' पर चली सेंसर बोर्ड की कैंची
फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत और कृति सेनन की फ्रेश जोड़ी है। दोनों के बीच फिल्माए गए नोंक-झोंक और प्यार के सीन काफी अच्छे लगे हैं। सुशांत के हिस्से काफी अच्छे और मजेदार वनलाइनर्स डायलॉग हैं जिन्हें सुशांत ने बहुत अच्छे से उन्हें डिलीवर किया है।
अभिनय की बात करे तो सुशांत सिंह राजपूत का अभिनय काबिले तारीफ है। एक्टिंग में वो बाकी एक्टर्स से बेहतर हैं। कृति ने भी अपना रोल बखूबी निभाया है, फिल्म में वो काफी खूबसूरत लगी हैं। जिम सरभ फिल्म में निगेटिव रोल में हैं। इससे पहले आपने उन्हें सोनम कपूर की फिल्म ‘नीरजा’ में देखा था। जिम हिंदी बोलने में थोड़े कमजोर लगे हैं, लेकिन ओवरऑल उनका अभिनय भी ठीक था। फिल्म में ‘फुकरे’ और ‘दिलवाले’ में काम कर चुके अभिनेता वरुण शर्मा भी हैं। वरुण सुशांत के दोस्त के किरदार में हैं, और हमें हंसाते हैं। फिल्म में राजकुमार राव 324 साल के बूढ़े के किरदार में हैं। फिल्म देखने से पहले मुझे उम्मीद थी कि शायद उनका किरदार खास होगा, लेकिन फिल्म में उनके पास करने के लिए कुछ खास नहीं था और किसी भी तरह की छाप छोड़ने में वो नाकामयाब रहे हैं।
फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी कहानी है। कहानी में नयापन नहीं है, मुझे लगता है पुनर्जन्म की कहानी दिखाने के लिए फिल्ममेकर्स को कुछ नया प्रयोग करना पड़ेगा। ऐसी कहानी दर्शक पहले भी कई बार देख चुके हैं। फिल्म पर ‘मगधीरा’ की कहानी चुराने के आरोप लगा था, लेकिन यहां मैं आपको बता देती हूं, यह फिल्म ‘मगधीरा’ जैसी बिल्कुल नहीं है। हां, फिल्म का आइडिया उससे मिलता-जुलता जरूर है। वैसे भी ‘मगधीरा’ से इसकी तुलना करना ठीक भी नहीं है क्योंकि ‘राब्ता’ ‘मगधीरा’ के आगे कहीं नहीं ठहरती है।
फिल्म का निर्देशन दिनेश विजान ने किया है। विजान इससे पहले ‘लव आजकल’, ‘कॉकटेल’, ‘फाइंडिंग फैनी’ और ‘हिंदी मीडियम’ जैसी कई फिल्मों के निर्माता रह चुके हैं। बतौर निर्देशक उनकी यह पहली फिल्म है। निर्माता के रूप में विजान कहीं बेहतर हैं, फिल्म का निर्देशन औसत ही है। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी अच्छी है। फिल्म के लोकेशन्स और विजुअल्स शानदार हैं।
म्यूजिक की बात करें तो प्रीतम का संगीत अच्छा है। फिल्म के गाने कैची हैं। अरिजीत सिंह का गाया गाना 'इक वारी' एक सोलफुल सॉन्ग है, जिसे आप एन्जॉय करेंगे।
देखे या नहीं- कहानी में कुछ नयापन नहीं है, लेकिन सुशांत और कृति की फ्रेश जोड़ी और सुशांत की एक्टिंग की वजह से आप यह फिल्म देख सकते हैं। अगर आप सुशांत या कृति के फैन हैं तो आप फिल्म देखकर बोर नहीं होंगे।
इस फिल्म को मैं ढाई स्टार दूंगी।