नई दिल्ली: अपने समय के प्रसिद्ध निर्देशक मृणाल सेन का आज निधन हो गया। मृणाल 95 साल के थे और और 2005 में उन्हें दादा साहेब फालके पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वे बांग्ला फिल्मों के प्रसिद्ध निर्माता और निर्देशक थे। उन्हें फिल्म 'बाइशे श्रावण' ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। 1981 में पद्म भूषण सम्मान मिला था। 1998 से 2000 तक मनोनीत संसद सदस्य भी रहे। 1955 में मृणाल सेन ने अपनी पहली फीचर फिल्म 'रातभोर' बनाई। उनकी अगली फिल्म 'नील आकाशेर नीचे' थी। इस फिल्म ने उन्हें स्थानीय पहचान दी और उनकी तीसरी फिल्म 'बाइशे श्रावण' ने उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नाम और शौहरत दिलवाई। उनकी अधिकतर ज्यादातर फिल्में बांग्ला भाषा में हैं।
मृणाल दा की आखिरी फिल्म 'आमार भुवन' साल 2002 में आई थी। उस वक्त मृणाल 80 वर्ष के थे। फिल्मों के अलावा वह राजनीति में भी एक्टिव रहे हैं। 1998 से 2003 तक वे कम्युनिष्ट पार्टी की ओर से राज्यसभा के लिए भी नॉमिनेट किए गए। साल 2000 में उन्हें रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन ने ऑर्डर ऑफ फ्रेंडशिप सम्मान से सम्मानित किया।
साहित्य के लिए नोबेल प्राप्त लेखक गैब्रियल गार्सिया मार्खेज मृणाल दा के खास मित्रों में से हैं। मृणाल दा ने कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म प्रतिस्पार्धाओं में जज/ ज्यूरी की भूमिका निभाई है। कांस को तो वे अपना दूसरा घर बताते रहे हैं. उनके बच्चों की बात करें तो बेटे कुणाल, 'इंसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका' में चीफ टेक्निकल डेवलपमेंट ऑफिसर हैं।