मुंबई: काफी विवादों के बाद केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने हाल ही में अलंकृता श्रीवास्तव के निर्देशन में बनी आगामी फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का' को ‘ए’ सर्टिफिकेट के साथ रिलीज की मंजूरी दे दी है। मंगलवार को ही इस फिल्म का एक नया ट्रेलर भी जारी कर दिया है। इस मौके पर फिल्म का वितरण और इसे पेश कर रही एकता कपूर भी मौजूद थीं। उन्होंने कहा कि उन्हें सीबीएफसी से कोई समस्या नहीं है, बल्कि समाज से समस्या है। एकता ने कहा, "सीबीएफसी के साथ कोई समस्या नहीं है, मुझे समाज से समस्या है, जो कुछ मौकों पर एक ही मुद्दे पर अपने तरीके से बोलता है। अगर आप किसी लड़की से बात करेंगे, तो आपको पता चलेगा कि इस तरह की करीब 5 से 10 घटनाएं रोज होती हैं, जहां एक महिला होने के नाते उसे खुद को साबित करने के लिए कड़ी जद्दोजहद करनी पड़ती है। उसे कम उम्र से ही इन बातों का मुकाबला करना सीखना होगा।"
फिल्म के पोस्टर में दिखाए गए मध्यमा उंगली (मिडिल फिंगर) के बारे में विस्तार से बताते हुए एकता ने कहा कि यह उंगली सीबीएफसी के लिए नहीं बल्कि पितृसत्तात्मक समाज की ओर है, जो महिलाओं को बाहर नहीं आने देता और उन्हें उनकी आवाज को दबाने पर मजबूर करता है, इसलिए समस्या सीबीएफसी से नहीं बल्कि विचारधारा और पितृसत्तात्मक समाज के साथ है। संवाददाता सम्मेलन में एकता कपूर, अलंकृता श्रीवास्तव, कोंकणा सेन शर्मा, रत्ना पाठक शाह, आहाना कुमरा और प्लाबिता बोरठाकुर मौजूद थी।
प्रकाश झा निर्मित यह फिल्म पिछले छह महीनों से सीबीएफसी द्वारा प्रमाण पत्र नहीं दिए जाने से अधर में लटकी थी। फिल्म की कहानी चार महिलाओं के इर्द-गिर्द घूमती है, जो खुलकर अपनी जिंदगी जीना चाहती हैं। फिल्म की चार मुख्य महिला कलाकारों में से एक रत्ना पाठक शाह का कहना है कि फिल्म पर किसी चरह का लेबल नहीं चस्पा देना चाहिए, क्योंकि इस नजरिए के साथ इसे देखना मुश्किल होगा। उन्होंने फिल्म की कहानी को दिलच्सप और मजेदार बताया।
उन्होंने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के बारे में भी बात की और कहा कि सिर्फ लिपस्टिक पर से ही नहीं, बल्कि महिला स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सैनिटरी पैड पर से भी टैक्स हटाया जाना चाहिए। कोंकणा सेन शर्मा, रत्ना पाठक शाह, आहाना कुमरा प्लाबिता बोरठाकुर और विक्रांत मेसी के अभिनय से सजी 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का' 21 जुलाई को रिलीज हो रही है।