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पहली बार लिखा गया ‘छोटा भीम’ के नाम खुला खत, इस मां को हैं कुछ शिकायतें

खुश रहो, जुग जुग जियो, छोटे ही बने रहो। तुम्हारी मम्मी या पापा को पहचानती तो ये ख़त उन्हें ही लिखती

Reported by: Jyoti Jaiswal @TheJyotiJaiswal
Updated : December 20, 2017 19:02 IST
OPEN LETTER TO CHHOTA BHEEM
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नई दिल्ली: कार्टून देखने का अपना ही मज़ा है, बच्चे तो बच्चे बड़े भी कार्टून का लुत्फ उठाते हैं। लेकिन बच्चों पर कार्टून का कितना गहरा असर पड़ता है ये बात भी किसी से छिपी नहीं है। कई रिसर्च से यह बात सामने आई है कि कार्टून देखने की वजह से बच्चों की काल्पनिक शक्ति पर काफी गहरा असर पड़ता है। अब बच्चें जो देखेंगे वही सीखेंगे। इसलिए कार्टून भी ऐसा होना चाहिए जिससे बच्चे कुछ अच्छा सीख सकें। लेकिन हमारे यहां जो कार्टून बनते हैं वो तो हमारे बच्चों को कुछ और ही सिखा रहे हैं। 3 बच्चों की मां और आयुर्वेदिक डॉक्टर नाज़िया नईम भी छोटा भीम की कुछ हरकतों से परेशान हो गईं, और उन्होंने छोटा भीम के नाम एक खुली चिट्ठी लिख दी, आप भी पढ़िए।

डियर छोटे भीम,

खुश रहो, जुग जुग जियो, छोटे ही बने रहो। तुम्हारी मम्मी या पापा को पहचानती तो ये ख़त उन्हें ही लिखती। वैसे भी संयुक्त परिवार खत्म होने के बाद भी हमारे यहाँ पेरेंटिंग का कोई कॉन्सेप्ट ही नहीं है और बच्चों की बात करने वालों को बचकाना समझा जाता है। पर चूंकि मेरे बच्चे तुम्हें देखते हैं, कॉपी करते हैं, तो मुझे यह लेटर लिखना पड़ा।

मुझे तुमसे कुछ शिकायतें हैं। पहली यह कि तुम भारतीय बच्चों के पसंदीदा भारतीय कैरेक्टर हो, पर तुमसे ज़्यादा संस्कारी और समझदार आम जापानी बच्चे हैं। तुम्हारे निर्माताओं ने तिलक धोती के रूप में तुम्हें भारतीय 'लुक' दिया है। पर भारतीय संस्कार नहीं। जो बातें मुझे खलती हैं उनमें से कुछ हैं-

1-नोबिता, शिज़ूका, सुनियो, डेकीसुकी, केनिची, यूनेको, शिशिमानू, शिंज़ो, यहाँ तक कि इतना पॉवरफुल रोबो डोरेमॉन, कुशल निंजा हथौड़ी और ज़िद्दी अड़ियल बुली जियान तक अपने पैरेंट्स की अनुमति लेकर बाहर खेलने जाते हैं। अनुमति नहीं तो सूचना तो दे ही देते हैं। बड़ा प्यारा लगता है उनके मुँह से "मैं घर आ गया", "मॉम मैं खेलने जा सकता हूँ?" सुनना। और तुम लोग हर कभी हर कहीं मुँह उठाए चले जाते हो। माँ बाप को बताना ज़रूरी नहीं समझते? तुम तो इतने समझदार हो न? फिर ये बात समझाते क्यों नहीं अपने दोस्तों को? समझाना तो दूर, खुद ही इकट्ठा करके निकल लेते हो। राजू, चुटकी, कालिया, ढोलू भोलू, जग्गू सभी के ये हाल हैं।

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अभी कालिया चिप्स खा रहा था, पैक में से क्रूज़ यात्रा का पास गिफ्ट के तौर पर मिला, तुम लोग उसी समय मुँह और बैग उठाए निकल लिये। क्या तुम्हें नहीं लगता हर अनजानी जगह बच्चों को नहीं जाना चाहिये? सुरक्षा की ज़िम्मेदारी बड़ी है बच्चों की। सुपर पॉवर तुम्हारे पास है, सबके पास नहीं।

2. क्यों तुम्हारे निर्माताओं को लगता है कि 9 साल के बच्चों को अभिभावकों की ज़रूरत नहीं, जो उनके कैरेक्टर्स नहीं डेवलप किये जैसे डोरेमॉन और निंजा हथौड़ी के हर एपिसोड में पेरेंट्स का हमेशा रोल होता है महत्वपूर्ण हो या गौण।

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3. केनिची और नोबिता की मम्मियां मार्केट जाती हैं, सब्ज़ियां और मछलियां लाती हैं, चॉकलेट रोल्स और पेस्ट्री भी लाती हैं, सूप, सलाद और सुशी बनाती हैं, पर टुनटुन मौसी सिर्फ़ और सिर्फ़ लड्डू बनाती हैं। बनाना और बेचना बहुत अच्छी बात है, पर बच्चों को उसके अलावा कुछ न खिलाते दिखाना, नेकेड कैलोरीज़ से भरे ओवर रेटेड लड्डुओं को भीम के लिये शक्ति स्रोत बताया जा सकता है, पर सब बच्चों का वही खाना, तुम्हें नहीं लगता ताकतवर की बजाय थुलथुला और कुपोषित बनाएगा??

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4. अमारा और हथौड़ी हमेशा निंजा टेक्निक्स इस्तेमाल करते हैं, डोरेमॉन अपने गैजेट्स और हमारे यहाँ भूत चुड़ैल, काला जादू, श्राप तुम्हारे फैन छोटे बच्चों पर क्या असर डालता है क्या तुम सोचते हो?

5. तुम्हारा कालखण्ड क्या है? किस पीरियड की बात है स्पष्ट नहीं होता। बच्चे अर्धनग्न घूमते हैं फिर चाहे तुम हो, राजू हो या कालिया। कभी कोई शर्ट पेंट पहना चरित्र आ जाता है, कभी तुम दूरबीन से आकाशगंगा देखते हो कभी माइक्रोस्कोप से प्रोफेसर धूमकेतु के आविष्कार कभी हवाई जहाज़ में जाते हो कभी लक्ज़री क्रूज़ पर। कभी स्केटिंग करते हो कभी स्कीइंग, हिन्दी चरित्र हैं पर हर दुकान और सूचना पटल आदि पर सबकुछ इंग्लिश में लिखा होता है। पूरी दुनिया घूमते हो फिर अपने राजा के 'राज्य' लौट जाते हो। ये क्या गड़बड़झाला है?

6. बाकी सारे बच्चे स्कूल जाते हैं। उनके पैरेंट्स उनकी पढ़ाई को लेकर कन्सर्नड होते हैं, उनके टीचर्स से मिलते हैं, उनकी पढ़ाई के बारे में पूछते हैं, तुम स्कूल न सही गुरुकुल टाइप कहीं तो जाओ, किसी ऋषि मुनि या गुरु से नियमित शिक्षा तो लो, पर नहीं तुमको तो हर टाइम खेलना या एडवेंचर करना होता है।

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7. तुम्हारे राजा को कोई बताता नहीं है कि कितने भी अद्भुत हों बच्चे बच्चे होते हैं। सारी सेना शो ऑफ को रखी है, जब एक 9 साल के बच्चे को डाकुओं, समुद्री लुटेरों, चोरों से लेकर दूसरे राज्य के सैनिक और चुड़ैलों जादूगरों तक से भिड़ने भेज देते हो, राजधर्म क्या दया भावना भी नहीं आती, बचपन को हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाना क्या ज़रूरी है? क्या ये एडवेंचर्स बच्चों द्वारा बच्चों पर, बच्चों के लिये नहीं हो सकते?

उम्मीद है कभी यह ख़त तुम्हारे मेकर्स तक पहुंचे और वे ये समझें कि तुम्हें लाखों करोड़ों बच्चे देखते हैं, चाहते हैं, सीखते हैं,हर छोटी बड़ी बात को फॉलो करने की कोशिश करते हैं तो उन्हें थोड़ा बेहतर मैसेज देने की बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है उन पर।

फिर से ढेर सारा प्यार और ऑल द बेस्ट!

-तुम्हारी फैन और तुम्हारे 3 फैन्स की मम्मी

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