Children's Day 2021: 14 नवंबर को 'बाल दिवस' यानि 'चिल्ड्रेन्स डे' है। इस दिन भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जन्म हुआ था। उन्हें चाचा नेहरु भी कहा जाता है। चाचा नेहरू को बच्चों से बेहद लगाव था। 'बाल दिवस' के मौके पर हर माता-पिता अपने बच्चे को स्पेशल फील कराने के कई तरकीब अपनाते हैं। इस खास दिन आप बच्चों को बॉलीवुड की इन फिल्मों दिखाकर काफी कुछ सिखा सकते हैं।
तारे जमीन पर
यह फिल्म बच्चों के साथ-साथ उनके पैरेंट्स के लिए भी बेहद जरूरी फिल्म है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि हर बच्चा खास होता है उसमें कुछ ना कुछ स्पेशल होता है। यह कहानी dyslexic से जूझ रहे बच्चे की है जो पढ़ाई में कमजोर है और हमेशा डांट खाता है लेकिन उसकी आर्ट बहुत अच्छी है। उसकी असली ताकत पहचानने में उसकी मदद उसके एक टीचर करते हैं जिसका रोल आमिर खान ने किया है।
आई एम कलाम
नील माधव पंडा की नेशनल अवॉर्ड विनिंग फिल्म 'आय एम कलाम' हर बच्चे को जरूर दिखाई जानी चाहिए। यह कहानी एक ऐसे बच्चे की है जो हर हाल में अंग्रेजी सीखना चाहता है, स्कूल जाना चाहता है और बड़ा आदमी बनकर अपने परिवार के काम आना चाहता है। यह फिल्म बच्चों को खूब इंस्पायर करेगी।
स्टेनली का डिब्बा
अमोल गुप्ते की फिल्म स्टेनली का डिब्बा मनोरंजक होने के साथ-साथ इमोशनल कहानी भी कहती है। अक्सर हम बच्चों को तो कुछ चीजें करने से मना करते हैं लेकिन खुद भी वही काम करते हैं। यह फिल्म बच्चों को आप दिखा सकते हैं।
मकड़ी
आप इस चिल्ड्रेन्स डे पर मकड़ी भी अपने बच्चों को दिखा सकते हैं। यह फिल्म आपके बच्चों को खूब पसंद आएगी।
निल बटे सन्नाटा
यह फिल्म गरीब मां-बेटी पर आधारित है। मां घरों में काम करती है ताकि बेटी पढ़ लिखकर नाम कमाए, मगर बेटी सोचती है कि जो मां करती है वह भी वही करेगी। मां अपनी बेटी के मर चुके ख्वाब को जिंदा करने के लिए जी-जान लगाती है। यह फिल्म बताती है कि सपनों का मर जाना सबसे खतरनाक होता है और इंसान के सपनों के मर जाने से बड़ा कोई दर्द नहीं होता। इसमें स्वरा भास्कर ने सराहनीय अभिनय किया है।
चिल्लर पार्टी
मासूम बच्चों के एक ग्रुप के बारे में एक सूक्ष्म कहानी जो एक राजनेता के खिलाफ खड़े होते हैं और एक गली के कुत्ते की जान बचाते हैं। फिल्म ने कई लोगों के दिलों को छू लिया क्योंकि बच्चों ने इसके मजेदार क्षणों का आनंद लिया और बड़ों ने इसके संदेश की सराहना की।
उड़ान
‘उड़ान’ बॉलीवुड की एपिक फिल्मों में से एक है। यह फिल्म बच्चों और माता-पिता के बीच के कम्यूनिकेशन गैप को दर्शाती है। फिल्म में दिखाया गया था कि कैसे कई बार परिजन बच्चों को अनुशासन सिखाने के चक्कर में उनपर हद से ज्यादा कंट्रोल करने लगते हैं। बच्चों में अनुशासन होना चाहिए, इतना नहीं कि उनका दम घुटने लगे। यह फिल्म ऐसे ही एक पिता और उसके बच्चों की कहानी को दर्शाती है।
इकबाल
यह फिल्म एक गूंगे और बहरे लड़के की कहानी है, जो भारतीय क्रिकेट टीम के लिए क्रिकेट खेलने का सपना देखता है। उसके पास कोई सुविधा नहीं होती। उसके पिता भी उसके क्रिकेट खेलने का बहुत विरोध करते है, लेकिन वह हार नहीं मानता और अपने सपने को पूरा करके रहता है।
तहान
फिल्म एक युवा लड़के और उसके पालतू गधे के जीवन पर आधारित है। आठ वर्षीय तहान अपने दादा, मां और बहन के साथ कश्मीर में रहता है। ये सब इस आशा के साथ जी रहे हैं कि एक दिन तहान के पिता लौटकर आएंगे। उसके दादा की मौत के बाद जमींदार उनके परिवार की संपत्ति ले लेते हैं। इसके साथ ही तहान का गधा बीरबल भी ले जाते हैं क्योंकि, तहान के परिवार ने उनसे कर्ज लिया था। बीरबल के बिना तहान का जीना मुश्किल हो जाता है। उसकी जिंदगी अब एकमात्र उद्देश्य बीरबल को वापस लाना है।