मुंबईः अपराध की दुनिया में छोटा राजन ने जिस तेजी से अपने कदम जमाए उस घटनाक्रम ने समय-समय पर कई हिन्दी फिल्मकारों को उसके जीवन की कहानी को रूपहले पर्दे पर उतारने के लिए प्रेरित किया। मुंबई के रहने वाले 55 साल के भगौड़े डॉन का मूल नाम राजेंद्र सदाशिव निकाल्जे है। वह कई दशकों से फरार था लेकिन रविवार को इंडोनेशिया के बाली में वो आखिरकार पकड़ा गया।
एक मध्यमवर्गीय मराठी परिवार में जन्मा छोटा राजन हिन्दी फिल्मों के टिकटों की काला बाजारी करता था और इस रास्ते से हत्या, उगाही और हथियारों की तस्करी के धंधे तक जा पहुंचा।
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1970 के दशक में अपने गुरू राजन नायर उर्फ बड़ा राजन के मारे जाने के बाद उसने अपने गिरोह का जिम्मा संभाला और उसे छोटा राजन का नाम दिया। छोटा राजन के उथल-पुथल से भरे सफर से काफी हद तक प्रेरित सबसे पहली फिल्म 1999 में आई महेश मांजरेकर की 'वास्तव-द रियलिटी' थी।
फिल्म में संजय दत्त ने रघुनाथ उर्फ रघु नामदेव शिवालखर नाम के एक मासूम व्यक्ति का किरदार निभाया था, जो एक हादसे के बाद अपराध के दलदल में फंसता चला जाता है।
संयोगवश फिल्म का निर्माण राजन के छोटे भाई दीपक निकल्जी ने ही किया था। फिल्म ने कई पुरस्कार जीते और यह इस तरह की फिल्मों के लिए मील का पत्थर साबित हुई।
एक समय छोटा राजन अंडरवल्र्ड डॉन दाउद इब्राहिम का विश्वस्त सहयोगी बन गया और दोनों मुंबई के अंडरवल्र्ड जगत की बड़ी हस्तियां बन गए। लेकिन 12 मार्च, 1993 को मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों ने दोनों के बीच के संबंध बदल कर रख दिए।
दाउद हमलों के साजिशकर्ताओं में से एक था। राजन दाउद से अलग हो गया और इसके बाद दोनों के बीच शत्रुता का एक नया युग शुरू हुआ।
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