नई दिल्ली: राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्मकार सचिन गुप्ता द्वारा बाल तस्करी पर बनी फिल्म को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है। सीबीएफसी के एक अधिकारी का कहना है कि इस फिल्म का विषय बेहद असभ्य है। 'पाखी' नाम से बनीं फिल्म को शुक्रवार को रिलीज किया जाना था।
गुप्ता ने आईएएनएस से कहा, "हमने रिवाइजिंग कमेटी के लिए अपील की है, लेकिन जिस प्रकार का कारण सीबीएफसी ने दिया है, वह बेहद अजीब है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की फिल्में नहीं रिलीज होनी चाहिए। आप इस प्रकार के बारे में कैसे सोच सकते हैं? मैं नहीं चाहता कि मेरी बेटी इस फिल्म को देखे। वह मेरी इस फिल्म को 'ए' प्रमाण पत्र दे सकते थे।"
निर्देशक गुप्ता ने कहा, "जिस प्रकार से उन्होंने मुझसे बात की, वह शर्मनाक था। निर्देशक से बात करने के लिए एक प्रोटोकॉल होना चाहिए। यह मेरी पहली फिल्म नहीं है।"
अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सवों में फिल्म को दर्शाने के लिए डिजिटल मंच के इस्तेमाल पर गुप्ता ने कहा, "डिजिटल क्यों? मैंने इसमें इतना पैसा खर्च किया है और इसके शोध के लिए आठ माह का समय भी। मैंने थियेटर के लिए यह फिल्म बनाई है। मैं एक फिल्मकार हूं। यह फिल्मोत्सवों के लिए नहीं है। मैं केवल चार या पांच लोगों के लिए फिल्म नहीं बनाना चाहता।"
गुप्ता ने कहा कि उन्होंने फिल्म थियेटरों की बुकिंग कर ली थी और पीवीआर उनकी फिल्म के रिलीज के लिए तैयार थे। उन्होंने कहा कि अगर सीबीएफसी 'ग्रेट ग्रैंड मस्ती' जैसी फिल्मों को प्रमाण पत्र दे सकता है, तो बाल तस्करी पर बनी फिल्म को क्यों नहीं दे सकता?
निर्देशक का कहना है कि इस फिल्म में कुछ भी गलत नहीं है। इस फिल्म को बिना कोई शर्म महसूस किए एक परिवार भी बैठ कर देख सकता है।