चेन्नई: मद्रास उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक याचिका को खारिज कर दिया जिसमें सिनेमा हॉल के भीतर लोगों को खाने-पीने का सामान साथ ले जाने की अनुमति प्रदान करने के लिए निर्देश देने की मांग की गयी थी। वकील एस तमिजवेंतन की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि सिनेमा हॉल निजी संपत्ति है और अदालत उनके निवेदन पर गौर करने के लिए निर्देश नहीं दे सकती।
पीठ ने कहा कि कानून के तहत ऐसा कोई संवैधानिक या वैधानिक अधिकार नहीं है जो आम लोगों को निजी संपत्ति, सिनेमा हॉल के भीतर अपना खाना ले जाने की इजाजत देता है।
याचिकाकर्ता ने सिनेमा हॉल में महंगे टिकट का हवाला देते हुए कहा कि पानी की बोतलें, ब्रेड-बिस्कुट, बच्चों के लिए गर्म पानी और मधुमेह के शिकार लोगों के लिए नाश्ता वगैरह खाने की किसी भी चीज को ले जाने की इजाजत नहीं दी जाती है । साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो खाने-पीने के सामानों को सिनेमा हॉल के भीतर ले जाने पर प्रतिबंध लगाता हो।
याचिकाकर्ता ने कहा कि सिनेमा हॉल के भीतर पानी की बोतलें और बच्चों के लिए खाना ले जाने पर रोक लगाना संविधान के अनुच्छेद के तहत प्रदत्त जीवन के अधिकार का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि वह प्राधिकारों के समक्ष पहले ही आवेदन दे चुके हैं। इसलिए वह इस पर विचार करने के लिए निर्देश की मांग करते हैं ।
(इनपुट- पीटीआई)
बॉलीवुड की अन्य खबरों के लिए क्लिक करें।
Also Read:
भूपेन हजारिका के बेटे ने नागरिकता कानून के विरोध में भारत रत्न लौटाने का किया फैसला
शादी से पहले ही आलिया ने चुना बेटी का नाम
अक्षय कुमार की फिल्म 'केसरी' का पोस्टर हुआ रिलीज, इस दिन आएगा ट्रेलर