फिल्मकार विक्रम भट्ट(Vikram Bhatt) को लगता है कि हिंदी फिल्म जगत में बायोपिक का चलन भेड़चाल का नतीजा है और अगर कुछ बायोपिक विफल हो जाती हैं तो यह चलन भी समाप्त हो जाएगा। विक्रम ने लेखिका अर्चना धुरंधर की 'द सोल चार्जर' शीर्षक वाली पुस्तक के विमोचन पर मीडिया के साथ बात करते हुए यह बात कही।
बायोपिक बनाने के चलन पर उनके विचारों के बारे में पूछने पर विक्रम ने कहा, "देखिए..जब आप बायोपिक बनाते हैं तब आपके पास पहले से बनी कहानी होती है। यह किसी और द्वारा लिखी गई या फिर लोगों की जानकारी में हो सकती है।"
उन्होंने कहा, "कुछ कहानियां ऐसी हैं, जिनके बारे में लोग नहीं जानते लेकिन फिर भी वे उन्हें देखते हैं। मैं पिछले 26,27 वर्षो से बॉलीवुड में फिल्मों का निर्देशन कर रहे हूं और उससे पहले मैं 10 वर्षो तक सहायक निर्देशक रहा था। अपने सफर में मैंने इस तरह की कई भेड़चाल देखी हैं और बायोपिक का चलन भेड़चाल का नतीजा है।"
विक्रम ने कहा, "अगर एक बायोपिक सफल हो जाती है तो लोग बायोपिक बनाना शुरू कर देते हैं। अगर एक कॉमेडी फिल्म चलती है तो लोग कॉमेडी फिल्में बनाना शुरू कर देते हैं और अगर एक एक्शन फिल्म चलना शुरू हो जाती है तो लोग एक्शन फिल्में बनाना शुरू कर देते हैं। इसलिए यह एक चरण है और हमें देखना होगा कि यह कब तक चलता है। अगर तीन से चार फिल्में विफल साबित हो जाएंगी तो यह चलन भी समाप्त हो जाएगा।"
(इनपुट-आईएएनएस)
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