एक लड़की परम्पराएं और लोगों की जिद पर काबू पाकर अपने सपनों को ना केवल साकार करती है, बल्कि समाज और लोगों को भी महसूस करवाती है कि जिंदगी की असली भोर कैसे होगी। कामाख्या नारायण सिंह द्वारा निर्देशित भोर' फिल्म महिला सशक्तिकरण और बहुत कुछ कहती है। इसी के साथ यह फिल्म मुसहर जनजाति की युवती बुधनी के जरिए महिला सशक्तिकरण के साथ भारत के स्वच्छता के मुद्दों पर संदेश दे रही है। इस फिल्म की कहानी मुसहर जाति की एक युवती बुधनी की जो अपने जीवन में शिक्षा की भोर लाना चाहती है, पढ़ने के लिए उसे ससुराल वालों से गांव वालों से जंग लड़नी पड़ती है। अब फिल्म निर्माता कामाख्या नारायण सिंह की फिल्म 'भोर' को एमएक्स प्लेयर पर लाइव स्ट्रीमिंग के लिए तैयार है।
यह फिल्म बुधनी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी शादी कानूनी उम्र से कम होने के बावजूद अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने का सपना देखती है और कैसे वह स्वच्छता के लिए शौचालय बनाने के लिए सभी बाधाओं से लड़ती है। बुधनी पढ़ाई करना चाहती है पर उसका परिवार उसकी शादी कराना चाहता है। बाद में वह सुगन नाम के आदमी से शादी के लिए इस शर्त पर तैयार हो जाती हैं कि वह उसे पढ़ाई ज़ारी रखने दे। शादी के बाद भी बुधनी और सुगन को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
इस फिल्म ने ओटावा इंडियन फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार और बोस्टन के दो पुरस्कार कैलीडोस्कोप इंडियन फिल्म फेस्टिवल में भी जीता। भोर फिल्म को 'काहिरा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल', 'इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया' (GOA), इंडो - बर्लिन फिल्म वीक (बर्लिन), मेलबर्न इंडिया फिल्म फेस्टिवल, ऑस्ट्रेलिया सहित तीस से अधिक फिल्म समारोहों में प्रशंसा मिली है।