फिल्म समीक्षा:
आलिया भट्ट और वरुण धवन की हॉट और क्यूट केमिस्ट्री के साथ आपके मनोरंजन के लिए फुल देसी मसाला फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ रिलीज हो चुकी है। शशांक खेतान के निर्देशन में बनी ये रोमांटिक-कॉमेडी फिल्म आप अपने पूरे परिवार के साथ देख सकते हैं। फिल्म की कहानी बेहद साधारण है लेकिन होली के इस मौसम में ये फिल्म आपको कहीं बोर नहीं करेगी।
फिल्म की कहानी झांसी के रहने वाले लड़के बद्रीनाथ बंसल (वरुण धवन) और कोटा की लड़की वैदेही त्रिवेदी (आलिया भट्ट) की है। दोनों एक शादी में मिलते हैं, वहां बद्री को वैदेही से प्यार हो जाता है। बद्री जहां नाजों से पला बड़े बाप का बेटा है वहीं वैदेही एक मिडिल क्लास लड़की है जिसे लड़की होने की वजह से बहुत सारी दिक्कतें झेलनी पड़ी हैं। इन दोनों को प्यार के धागे में बांधने का काम किया है निर्देशक शशांक खेतान ने।
अगर ‘हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया’ से इस फिल्म की तुलना की जाए तो ये फिल्म उससे कहीं बेहतर साबित होती है। ऐसा बहुत कम होता है कि किसी फिल्म की फ्रेंचाइजी फिल्म पहले वाली से अच्छी हो। लेकिन इस फिल्म की हीरोइन वैदेही त्रिवेदी ‘हम्प्टी शर्मा’ की हीरोइन काव्या प्रताप सिंह और उसके लहंगे से कहीं ऊपर है, वैदेही की सपने बड़े हैं, वो एयरहोस्टेस बनना चाहती है और उसे पूरा करने की कोशिश करती है। कॉमेडी के बीच फिल्म सोशल मैसेज भी देती है। दहेज प्रथा, बेटा-बेटी में अंतर जैसे गंभीर मुद्दे भी फिल्म में बेहतर तरीके से उठाए गए हैं।
एक्टिंग की बात की जाए तो वरुण देसी लड़के के किरदार में जम रहे हैं, वरुण की कॉमेडी टाइमिंग जबरदस्त है। आलिया भट्ट की एक खासियत है उन्हें जो रोल दिया जाता है उसमें पूरी तरह ढल जाती हैं, ‘उड़ता पंजाब’ में वो बिल्कुल ठेठ बिहारी लगी थीं, इस फिल्म में भी आलिया कोटा की लड़की के किरदार में कमाल लगी हैं। दोनों की केमिस्ट्री पहले भी दर्शक पसंद कर चुके हैं इस फिल्म में भी आपको दोनों साथ में अच्छे लगेंगे। श्वेता प्रसाद बसु और गौहर खान के प्रशंसक उन्हें बड़े परदे पर देखकर खुश होंगे, दोनों अपने छोटे से रोल में अच्छी लगी हैं। हम्प्टी शर्मा वाला शॉन्टी यहां भी है जो इस बार भी बद्रीनाथ का ‘तू मेरा भाई है’ वाला दोस्त बना है। फिल्म देखकर आपको अपने दोस्त की याद जरूर आएगी।
यहां मैं फिल्म से जुड़े एक और शख्स का नाम लेना चाहूंगी वो हैं मुकेश छाबड़ा, ‘पीके’ और ‘दंगल’ जैसी फिल्मों के कास्ट डायरेक्टर मुकेश ने इस फिल्म में भी हर किरदार के लिए बिल्कुल ठीक कलाकार का चयन किया है।
फिल्म का निर्देशन शशांक खेतान ने किया है वो इस फिल्म के राइटर भी हैं। कहानी तो साधारण है लेकिन फिल्म का निर्देशन अच्छा है। फिल्म का क्लाइमेक्स दूसरी बॉलीवुड मसाला फिल्मों की तरह ही फिल्मी है, जिसे और बेहतर किया जा सकता था।
फिल्म के गाने और म्यूजिक पहले ही हिट हैं। ‘तम्मा-तम्मा’ का तड़का अच्छा लगता है। लेकिन फिल्म के गाने लंबे हैं और बार-बार आकर फिल्म के फ्लो को रोकते हैं। ‘आशिक सरेंडर हुआ’ गाना भी काफी लंबा है। लेकिन फिल्म के आखिर में आने वाला टाइटल सॉन्ग आपको अंत तक रुकने पर मजबूर कर देगा, होली के रंगों से सजा ये गाना इस बार होली पार्टी में खूब बजने वाला है।
फिल्म देखें या नहीं:
अगर आप देसी एंटरटेनमेंट पसंद करते हैं और होली की छुट्टी में परिवार के साथ फिल्म देखना चाहते हैं तो ये फिल्म मनोरंजन करेगी। लेकिन फिल्म से ज्यादा उम्मीद मत रखिएगा। हम इस फिल्म को 5 से 3 स्टार देते हैं।