नई दिल्ली: बॉलीवुड में पिछले कुछ वक्त से ऐसे मुद्दों को उठाकर फिल्में बनाई जा रही हैं जिनके बारे में अक्सर लोग बात करने में हिचकते हैं। वहीं इनके अलावा अपने देसीपन को दिखाती इन फिल्मों को खूब पसंद भी किया जा रहा है। हाल ही में रिलीज हुई अक्षय कुमार फिल्म 'टॉयलेय: एक प्रेम कथा' और नवाजुद्दीन सिद्दीकी की 'बाबूमोशाय बंदूकबाज' की सफलता को देखकर तो यही कह सकते हैं, दर्शक अब कुछ देसी देखने के मूड में हैं। आज आयुष्मान खुराना और भूमि पेडनेकर के अभिनय से सजी फिल्म 'शुभ मंगल सावधान' के रूप में इस हफ्ते में दर्शकों के सामने देसी लेकिन कुछ नया परोसा गया है। दरअसल यह फिल्म मर्दों में होने वाली समस्या के विषय पर आधारित है। इस मुद्दे पर शायद ही किसी भी पुरुष को बात करते देखा गया हो, लेकिन अब इसे फिल्म के जरिए पेश करना एक अच्छी शुरुआत माना जा रहा है। खूब हंसी मजाक के बीच इस फिल्म के साथ एक अहम संदेश देने की कोशिश की है।
फिल्म की कहानी दिल्ली के रहने वाले मुदित (आयुष्मान) और सुंगधा (भूमि पेडनेकर) के इर्द गिर्द घूमती है। दोनों के बीच रिश्ता जुड़ता है और बात शादी तक पहुंच जाती है। लेकिन इसी दौरान की मौकों पर मुदित को अहसास होता है कि उसे मेल परफॉर्मेंस एनजाइटी की समस्या है। इसके प्रॉब्लम के सामने आते ही सुगंधा के घरवाले रिश्ता तोड़ देते हैं, लेकिन वहीं सुगंधा इसमें मुदित के साथ खड़ी रहती है। इस कारण काफी परेशानियां भी होने लगती है। लेकिन क्या अब ये दोनों हालातों से लड़कर इन दोनों की जीत हासिल होगी? ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब जानने के लिए आपको सिनेमाघरों का रुख करना होगा। बता दें कि यह 2013 में आई तमिल फिल्म 'कल्याण समायल साधम' की रीमेक है।
आयुष्मान खुराना अपने हर किरदार को बखूबी पर्दे पर निभाना जानते हैं। खासतौर पर इस तरह की भूमिकाओं के लिए उन्हें एक परफेक्ट चॉइस माना जाता है, उन्होंने एक बार फिर से इस फिल्म में यह बात साबित भी कर दी है। मुदित के किरदार को उन्होंने बेहद शानदार ढंग से पर्दे पर उतारा है। वहीं भूमि की बात करें तो वह अपनी पहली फिल्म 'दम लगा के हईशा' से ही एस देसी लड़की की भूमिका निभाती दिख रही हैं। लेकिन हर बार वह किरदार के साथ कुछ नया और बेहतरीन करती है। इस बार भी उन्होंने अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया है। बृजेंद्र काला और सीमा पाहवा ने भी अपने किरदारों से दर्शकों को खूब लुभाया है। लेकिन हर चीज काफी शानदार होने के बावजूद फिल्म का सेकंड हाफ कुछ कमाल नहीं दिखा पाया है। जहां एक तरफ फिल्म के फर्स्ट हाफ में हंस-हंसकर लोटपोट जाएंगे, वहीं इसका सेकंड हाफ विषय से भटका हुआ नजर आता है।