सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान और उसके दोस्त अरबाज मर्चंट को 2 अक्टूबर को क्रूज टर्मिनल से हिरासत में लिया गया और प्रारंभिक जांच के बाद आर्यन खान को गिरफ्तार कर लिया गया। न्यायिक हिरासत में जाने के पहले कुल 5 दिनों तक आर्यन एनसीबी की हिरासत में रहे। आर्यन खान के वकील लगातार दलील दे रहे थे कि पहले दिन पूछताछ करने के बाद आर्यन से कभी पूछताछ नहीं की गई। ऐसे में सवाल उठता है कि जब एनसीबी कस्टडी में आर्यन से पूछताछ नहीं हो रही थी तब आर्यन कस्टडी के दौरान क्या कर रहे थे? एनसीबी के अधिकारी क्या बेवजह ही आर्यन को एनसीबी लॉकअप में बिठाकर रखते थे या फिर अन्य आरोपियों की तरह आर्यन की भी काउंसलिंग होती थी?
इन सवालों का जवाब जानने से पहले हम आपको बताते हैं एनसीबी का वो कार्य जिसके बारे में बहुत कम लिखा और बताया गया है।
कस्टडी के दौरान ड्रग्स के आरोपियों की होती है रोजाना काउंसलिंग
एनसीबी किसी भी आरोपी को पकड़ने के बाद उसके खिलाफ पक्के सबूत इकठ्ठा करती है ताकि उस आरोपी को कड़ी सजा हो सके। अगर कोई आरोपी शातिर मुजरिम है या फिर हिस्ट्रीशिटर है तो उसके साथ एनसीबी के अधिकारी कस्टडी के दौरान बड़े ही सख्ती से पेश आते हैं लेकिन अगर कोई पहली बार ड्रग्स के मामले में पकड़ा गया हैंया नशे का आदी हो चुका है तो पूछताछ के अलावा एनसीबी का सारा जोर होता है कि, किसी भी तरह काउंलिंग कर उस आरोपी को उसकी गलती का अहसास दिलाना और उसे समाज/वंचित तबकों के लिए कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित करना।
क्या है काउंसलिंग का तरीका?
अगर कोई आरोपी धार्मिक है तो उसकी काउंसलिंग के लिए उसके आस्था से जुड़े धर्म के गुरुओं को एनसीबी दफ्तर बुलाया जाता है और फिर वो धर्मगुरु उस आरोपी को सही पथ पर लाने के लिए मार्गदर्शन करते हैं। एनसीबी के बड़े अधिकारी खुद भी व्यक्तिगत रुप से आरोपी से हर रोज बात कर उसका प्रबोधन करते हैं ताकि आरोपी को ड्रग्स आरोप की गंभीरता और ड्रग्स से होने वाले नुकसान का अहसास हो सके।
एनसीबी के मुंबई हेडक्वार्टर में गीता, कुरान, बायबल सहित अन्य धार्मिक ग्रंथ हैं। आरोपी की धार्मिक आस्था के अनुसार उसे सुबह-सुबह पवित्र ग्रंथ पढ़ने को दिया जाता है। एनसीबी के दफ्तर में काउंसिलिंग के लिए आने वाले इस्कॉन से जुड़े संत और मुंबई के बड़े मौलानाओं को अक्सर देखा गया है। ऐसे आरोपियों से शपथ ली जाती है कि वो यहां से बाहर निकलने के बाद समाज के लिए अच्छा काम करेंगें.. अगर आरोपी आर्थिक रुप से सक्षम हैं तो उससे वादा लिया जाता है कि यहां से बाहर निकलने के बाद किसी जरूरतमंद परिवार को गोद लेकर हर महीने उन्हें राशन पहुंचायेगा और जब भी गोद लिए परिवार को राशन दिया जाएगा तब उसकी तस्वीर लेकर केस के जांच अधिकारी को फोटो खींचकर भेजेगा। ऐसा करने पर मन को आनंद की अनुभूति होगी। और ये काम उस आरोपी को 6 महीने तक करना होगा।
आर्यन खान की काउंसलिंग कैसे हुई?
एनसीबी के एक बड़े अधिकारी के मुताबिक, आर्यन पांच दिनों तक उनके पास था। अन्य आरोपियों का तरह उसे भी लॉकअप में रखा गया था लेकिन उसकी सुरक्षा का काफी ख्याल रखा गया था। हर रोज सुबह करीब 30 मिनट तक समीर वानखेडे सहित अन्य एनसीबी अधिकारी आर्यन खान की काउंसलिंग करते थे। एनसीबी के अधिकारी आर्यन को बताते थे की ड्रग्स की वजह से उसे कितना नुकसान हो रहा है.. अगर ड्रग्स का सेवन इसी तरह जारी रहा तो कैसे उसका शरीर बर्बाद हो जाएगा.. परिवार को जो परेशानी होगी वो अलग... ड्रग्स पर पैसे इस तरह बर्बाद करने के बजाय जरूरतमंदों की मदद करो बहुत ही सुकून मिलेगा। हर रोज का यही सिलसिला था।
मुंबई एनसीबी के बड़े अधिकारी जांच के दौरान वक्त निकालकर बिना चूके हर रोज आर्यन खान और अन्य आरोपियों की काउंसलिंग करते थे। एनसीबी अधिकारी के मुताबिक आर्यन काफी पढ़ा-लिखा और मॉर्डन विचारों वाला था और अन्य आरोपियों की तरह उसका झुकाव बहुत ही धार्मिक नहीं था इसलिए उसे धार्मिक किताबें पढ़ने को लिए नहीं दी जाती थी।
आर्यन ने किया एनसीबी अधिकारियों से वादा
एनसीबी सुत्रों के मुताबिक, जब आर्यन की काउंसलिंग की जाने लगी तो आर्यन ने अपनी गलती मानते हुए एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेडे से वादा किया कि वो अब समाज के लिए काम करेगा.. देश सेवा के लिए खुद को समर्पित करेगा.. गरीबों की मदद करेगा। इस पर एनसीबी एक अधिकारी ने आर्यन से कहा कि देखो तुम जो भी काम करोगे उस पर हमारी नजर रहेगी.. हम चाहे जहां रहे लेकिन हम सब मॉनिटर करते रहेंगे। इस बात पर आर्यन ने कहा कि, सर जब मैं यहां से बाहर निकलूंगा और देश के लिए इतना अच्छा काम करूंगा कि आपको एक दिन मुझपर नाज होगा.. आप देखना । एनसीबी अधिकारी के मुताबिक, आर्यन की बातों में सच्चाई नजर आ रही थी।
जब कस्टडी के दौरान आर्यन ने कहा मुझे श्रमदान करना है
आर्यन से पहले दिन ही पूछताछ खत्म हो चुकी थी। ऐसे में काउंसलिंग सेशन खत्म होने के बाद आर्यन दिनभर कस्टडी में खाली बैठा रहता था। अन्य आरोपियों से पूछताछ होती थी.. आर्यन उन्हे सिर्फ देखता रहता था। एक दिन आर्यन ने एनसीबी अधिकारी से कहा मुझे श्रमदान करना है.. मुझे कुछ काम दीजिए..लेकिन एनसीबी के अधिकारी ने आर्यन की इस विनती को ठुकरा दिया.. एनसीबी सूत्र का कहना है कि उस दौरान उनके हेडक्वार्टर में कुछ अन्य आरोपी भी थे। आर्यन की सुरक्षा के मद्देनजर उन्हें श्रमदान की इजाजत नहीं दे सकते थे।
जब हमने एनसीबी के बड़े अधिकारी से पूछा की एकतरफ तो आप आर्यन की काउंसलिंग कर उसे समाज के लिए अच्छा काम करने के लिए कहते थे और दूसरी तरफ उसकी जमानत का विरोध भी करते थे, तो इसपर एनसीबी का कहना था कि, आर्यन ने गलत काम किया है उसकी जमानत का विरोध करना हमारे काम का हिस्सा है और वो हम करेंगे। लेकिन इसके साथ ही हमारी जिम्मेदारी है कि हर आरोपी में परिवर्तन लाने की कोशिश करना।
सतीश मानेशिंदे ने भी एनसीबी का आभार जताया
एनसीबी सूत्र का कहना है कि, आर्यन भी हमारे लिए अन्य आरोपियों की तरह था.. हमने उसका भी अच्छा ख्याल रखा.. उसमें बदलाव लाने की कोशिश की.. खुद कोर्ट में सतीश मानेशिंदे ने भी माना कि, हमने कस्टडी के दौरान आर्यन का बहुत अच्छा ख्याल रखा और इसके लिए उन्होंने धन्यवाद भी दिया।