नई दिल्ली: बॉलीवुड में चार दशक बिताने के बाद भी अनिल कपूर प्रतिस्पर्धी बने हुए हैं, लेकिन वे भ्रमित नहीं हैं। अनिल ने कहा, "मैं प्रतिस्पर्धी हूं और मुझे लगता है कि हर किसी को प्रतिस्पर्धी होना चाहिए, लेकिन बहुत सकारात्मक तरीके से। मैं प्रतिस्पर्धी हूं, लेकिन अपने बारे में भ्रमपूर्ण नहीं हूं। आपको यथार्थवादी होना होगा और प्रतिस्पर्धी होना होगा। इसलिए, मैं वास्तविक रूप से प्रतिस्पर्धी हूं।"
अनिल ने 1979 में उमेश मेहरा के निर्देशन में बनी फिल्म 'हमारे तुम्हारे' में एक छोटी सी भूमिका के साथ इंडस्ट्री में कदम रखा और इसके बाद 'वो 7 दिन', '1942:अ लव स्टोरी', 'मिस्टर इंडिया', 'तेजाब' , 'राम लखन' , 'लम्हे' , 'बेटा' , 'ताल' , 'नायक: द रियल हीरो' और 'पुकार' जैसी फिल्मों में काम किया। उन्होंने अपने शिल्प और विषयों के साथ प्रयोग करके प्रासंगिक बने रहने में कामयाबी हासिल की है। उन्होंने 'नो एंट्री', 'वेलकम', 'रेस', 'दिल धड़कने दो', 'मुबारकां', 'फन्ने खान', 'एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा' और 'टोटल धमाल' के माध्यम से अपनी बहुमुखी प्रतिभा साबित की है।
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बीते दिनों को लेकर अनिल ने साझा किया, "कहीं न कहीं, 2020 एक ऐसा साल था, जिसके खत्म होने का इंतजार हर कोई कर रहा था, ताकि हम 2021 को सकारात्मक और आशावादी तरीके से देखें। वैक्सीन आने वाला है, इसलिए हर कोई इसके लिए तत्पर है।"
उन्होंने आगे कहा, "यह साल हर किसी के लिए कठिन रहा है। मेरी संवेदना उन सभी लोगों के साथ है जो इसका शिकार हुए हैं। मुझे उन सभी लोगों पर गर्व है, जिन्होंने वास्तव में निस्वार्थ रूप से काम किया है - डॉक्टर, फ्रंटलाइन कार्यकर्ता।"
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अनिल कपूर की हालिया फिल्म 'एके वर्सेज एके' है। फिल्म के बारे में बात करते हुए अनिल ने कहा, "जब मैंने इसे पढ़ा तो मुझे स्क्रिप्ट बहुत पसंद आई। यह मेरे करियर के सबसे अच्छे अनुभवों में से एक रहा है।" यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर 24 दिसंबर को रिलीज हुई।
इनपुट- आईएएनएस