नई दिल्ली: बॉलीवुड के फेमस विलेन अमरीश पुरी की आज जयंती है। अमरीश पुरी फिल्मों में हमेशा से निगेटिव रोल में नजर आए लेकिन बॉलीवुड के इतिहास में यह पहले ऐसे शख्स थे जिन्हें अपने नेगेटिव रोल के बावजूद लोगों का इतना प्यार मिला। अमरीश पुरी का जन्म 22 जून 1932 को पंजाब राज्य के जालंधर में हुआ था। 1967 में उनकी पहली मराठी फिल्म 'शंततु! कोर्ट चालू आहे' आई थी।
बॉलीवुड में उन्होंने 1971 में 'रेशमा और शेरा' से डेब्यू किया था। दर्शकों को अमरीश पुरी का निगेटिव किरदार भी बहुत भाता था। मिस्टर इंडिया, शहंशाह, करण-अर्जुन, कोयला, दिलजले, विश्वात्मा, राम-लखन, तहलका, गदर, नायक, दामिनी जैसी फिल्मों में वह निगेटिव किरदार में थे, लेकिन इन फिल्मों को सुपरहिट बनाने में अमरीश पुरी का बड़ा योगदान रहा था। आज उनके जन्मदिन पर जानेंगे उनके ऐसे फेमस डायलॉग्स के बारे में जिन्हें आज भी लोग याद करते हैं। बता दें कि 12 जनवरी 2005 को अमरीश पुरी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। अपनी दमदार आवाज और बड़ी-बड़ी आंखों से ही पूरी कहानी को बयां कर देने वाले अमरीश के जन्मदिन पर गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें याद किया है।
घास और दुश्मनी कहीं भी और कभी भी पैदा हो सकती हैआदमी के पास दिमाग हो ना तो वो अपना दर्द भी बेच सकता है
जो जिंदगी मुझसे टकराती है...वो सिसक-सिसक कर दम तोड़ती है
जरूरतों ने पर काट दिए हैं...रोटी पांव की जंजीर बन गई है
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