गुरुदत्त ने 10 अक्टूबर, 1964 को कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद वहीदा अकेली हो गईं। लेकिन उन्होंने अपने करियर से मुंह नहीं मोड़ा। राज कपूर के साथ फिल्म 'तीसरी कसम' में उन्होंने नाचने वाली हीराबाई का किरदार निभाया था और नौटंकी में गया था- 'पान खाए सैंया हमारो..मलमल के कुर्ते पर पीक लाले लाल' जो काफी लोकप्रिय हुआ। बिहार के फारबिसगंज की पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।