गुरुदत्त और उनके प्रेम-प्रसंग के किस्से भी चर्चा में रहे। गुरुदत्त और वहीदा रहमान अभिनीत फिल्म 'कागज के फूल' (1959) की असफल प्रेमकथा उन दोनों की स्वयं के जीवन पर आधारित थी। इसके बाद दोनों ने फिल्म 'चौदहवीं का चांद' (1960) और 'साहब बीवी और गुलाम' (1962) में साथ-साथ काम किया। वहीदा ने अपने करियर की शुरुआत में गुरुदत्त के साथ तीन साल का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था, जिसमें उन्होंने शर्त रखी थी कि वह कपड़े अपनी मर्जी के पहनेंगी और अगर उन्हें कोई ड्रेस पसंद नहीं आई तो उन्हें वह पहनने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।